
नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) ने कहा कि ई20 पेट्रोल की शुरुआत (Introduction of E20 Petrol) स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में (Towards Clean and Green Future) एक महत्वपूर्ण कदम है (Is an important Step) । उन्होंने कहा कि पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से गाड़ियों पर इसका कोई नकारात्मक असर नहीं हुआ है, साथ ही इससे 1.40 लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत हुई और किसानों को भी फायदा हुआ है।
केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने गुरुवार को बताया कि ई20 पेट्रोल की शुरुआत स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल प्रदूषण को कम करता है और देश की महंगे ईंधन आयात पर निर्भरता को घटाता है। उन्होंने आगे कहा कि इससे इथेनॉल उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले गन्ने और मक्के जैसे कच्चे माल की आपूर्ति के लिए किसानों को लगभग 40,000 करोड़ रुपए मिले हैं।
ई10 और ई20 ईंधन मानकों के साथ वाहनों की अनुकूलता से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, गडकरी ने सरकार की नीति का विस्तृत विवरण साझा किया। उन्होंने कहा कि वाहन निर्माताओं की यह जिम्मेदारी है कि वे यह घोषित करें कि कोई मॉडल ई20 ईंधन के अनुकूल है या नहीं, और यह जानकारी वाहन पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले स्टिकर के माध्यम से प्रदर्शित की जानी चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1 अप्रैल, 2023 से पहले बेचे गए वाहन ई10 ईंधन के अनुकूल हैं, जबकि इस तिथि के बाद बेचे गए वाहन ई20 मानकों के अनुरूप हैं।
उन्होंने आगे कहा कि बीआईएस विनिर्देशों और ऑटोमोटिव उद्योग मानकों के माध्यम से ई20 ईंधन के लिए सुरक्षा मानदंड स्थापित किए गए हैं और परीक्षणों से पता चला है कि वाहन के चलने, स्टार्ट होने या धातु और प्लास्टिक घटकों की अनुकूलता में कोई समस्या नहीं है। गडकरी ने सदन को यह भी बताया कि ई20 मानकों का पालन न करने वाले पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने या उनमें संशोधन करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि एआरएआई, आईओसीएल और सियाम द्वारा किए गए एक अध्ययन से पुष्टि हुई है कि इथेनॉल-मिश्रित ईंधन के उपयोग से होने वाली सामान्य टूट-फूट को नियमित सर्विसिंग के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है और किसी विशेष रेट्रोफिटिंग कार्यक्रम की आवश्यकता नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने के कार्यक्रम के परिणामस्वरूप लगभग 790 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है और 260 लाख मीट्रिक टन से अधिक कच्चे तेल का प्रतिस्थापन हुआ है।”

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