
नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने मैकिन्से एंड कंपनी (McKinsey & Company) को दिए एक विशेष साक्षात्कार में खुलकर बताया कि किस तरह जियो में निवेश करना उनके जीवन का सबसे बड़ा जोखिम था। उन्होंने कहा कि विश्लेषकों ने इस पर संदेह जताया था कि क्या भारत आवश्यक डिजिटल बुनियादी ढांचे के लिए तैयार है। फिर भी यह निर्णय रिलायंस इंडस्ट्रीज के परोपकारी सोच को ध्यान में रखते हुए लिया गया। इसका उद्देश्य भारत के डिजिटल परिवर्तन में योगदान देना है।
अंबानी ने बताया कि मैंने बोर्ड से कहा कि सबसे बुरे हालात में भी अगर हमें वित्तीय लाभ नहीं हुआ, तो भी ठीक है, क्योंकि ये पैसा हमारा खुद का है। लेकिन इस प्रक्रिया में हमने अगर भारत को डिजिटाइज कर दिया, तो ये हमारा सबसे बड़ा परोपकारी कार्य होगा।
अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के भविष्य पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि रिलायंस के लिए अब बदलाव यह है कि हम एक डीप-टेक और उन्नत विनिर्माण कंपनी बनने जा रहे हैं। हमने टेलीकॉम से शुरुआत की। 2021 में हमने 5G लॉन्च किया। इसका पूरा सिस्टम कोर, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर सब खुद बनाया। हमने 20 प्रतिशथ की मदद के लिए एरिक्सन और नोकिया का इस्तेमाल किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमने जो 80 प्रतिशथ लगाया वह अच्छा है और हमारी टीम खुद पर बहुत ज्यादा गर्व न करें।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन ने आगे कहा कि कंपनी का बड़ा उद्देश्य समाज की जटिल समस्याओं को हल करना और देश व जनता के लिए संपत्ति निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि एआई में अपना लक्ष्य तय किया है, समाज की जटिल समस्याओं का समाधान करना। इसके लिए हम उच्च जोखिम वाले GPU गेम में नहीं जा रहे, बल्कि डाउनस्ट्रीम काम में ही विशेषज्ञता बनाएंगे।
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