
तेहरान । ईरान (Iran) ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के पुराने परमाणु प्रतिबंधों (nuclear sanctions) को दोबारा लागू करने की कोशिशों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन से अपने राजदूतों (Ambassadors) को तुरंत वापस बुला लिया है। यह कदम तेहरान में कूटनीतिक तनाव को नई ऊंचाई दे सकता है, जहां ईरान का परमाणु कार्यक्रम लंबे समय से वैश्विक विवाद का केंद्र रहा है।
तीनों देशों ने ईरान पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ सहयोग नहीं करने और अमेरिका के साथ सीधी बातचीत नहीं करने के कारण हटाए गए प्रतिबंधों को फिर से लागू करने पर जोर दिया है। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘इरना’ ने यह जानकारी दी। इस प्रतिबंधात्मक उपाय के तहत विदेशों में ईरानी संपत्तियां जब्त की जाएंगी, तेहरान के साथ हथियारों के सौदे रोक दिए जाएंगे तथा ईरान के बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम जारी रहने पर उसे दंडित किया जाएगा।
ईरानी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को घोषणा की कि ये राजदूत “परामर्श” के लिए तेहरान लौट रहे हैं, लेकिन कूटनीतिक स्रोतों के अनुसार, यह कदम यूरोपीय देशों की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को भेजे गए पत्र का प्रत्यक्ष परिणाम है। पिछले महीने फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन (संयुक्त रूप से ई3 के रूप में जाना जाता है) ने यूएनएससी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते (जेसीपीओए) के तहत अपने वादों का पालन नहीं किया है। इन देशों ने पुराने प्रतिबंधों को ‘स्नैपबैक’ प्रक्रिया के तहत बहाल करने की मांग की है, जो ईरान के परमाणु गतिविधियों पर कड़े प्रतिबंध लगा सकती है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक बयान में कहा, “ये यूरोपीय देश परमाणु समझौते को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं। हम अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे।” तेहरान ने इन प्रतिबंधों को “अवैध और एकतरफा” करार देते हुए चेतावनी दी है कि इससे क्षेत्रीय स्थिरता पर बुरा असर पड़ेगा। ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन पश्चिमी देश यूरेनियम संवर्धन की मात्रा को लेकर आशंकित हैं।
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