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बड़ा हमला नहीं कर सका ईरान, साख बचाने के लिए किया अमेरिकी ठिकानों पर हमला; नहीं दिखा कोई असर

June 24, 2025

नई दिल्‍ली । अमेरिकी(American) और इजरायली हमलों (Israeli attacks)से कमजोर पड़े ईरान(Iran) ने अपनी साख बचाने के लिए सोमवार को कतर में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे(US military bases) अल-उदीद पर मिसाइल हमला(Missile attack) किया। यह हमला अमेरिकी हवाई हमलों का जवाब था, जिसमें ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों को निशाना बनाया गया था। हालांकि, ईरानी हमलों में कोई अमेरिकी हताहत नहीं हुआ, और कतर ने दावा किया कि उसने मिसाइलों को सफलतापूर्वक रोक लिया। इसके अलावा, खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ‘ईरान का हमला काफी कमजोर था और उसने पहले से ही जानकारी दे दी थी।’


वहीं ईरान ने कहा कि अल उदीद अड्डे पर उसके द्वारा किया गया मिसाइल हमला ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिका द्वारा गिराए गए बमों की संख्या के बराबर है। यह हमला ईरान से खतरे के मद्देनजर कतर द्वारा एहतियात के तौर पर अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने के तुरंत बाद हुआ। इराक के एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि ईरान ने पश्चिमी इराक में अमेरिकी सैनिकों के लिए ऐन अल-असद बेस को भी निशाना बनाया।

क्या है पूरा मामला?

पिछले कुछ हफ्तों से इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। 13 जून को इजरायल ने तेहरान में सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले शुरू किए, जिसे उसने ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए जरूरी बताया। इसके बाद, 21 जून को अमेरिका ने भी ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमला किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ये हमले “पूरी तरह सफल” रहे और ईरान की परमाणु क्षमता को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया गया।

इन हमलों ने ईरान को आर्थिक और सैन्य रूप से कमजोर कर दिया। तेहरान की सड़कें खाली हो गईं, और लाखों लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में शहर छोड़कर भाग गए। ईरानी अधिकारियों का दावा है कि इजरायली हमलों में अब तक 400 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक हैं।

अल-उदेद पर हमला

सोमवार को, ईरान ने कतर में अल-उदेद हवाई अड्डे पर छह मिसाइलें दागीं, जो अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) का प्रमुख केंद्र है और जहां करीब 10,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। ईरानी मीडिया ने इसे “विजय की शुरुआत” करार दिया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला प्रतीकात्मक था, जिसका मकसद घरेलू जनता को यह दिखाना था कि ईरान अभी भी जवाब देने में सक्षम है।

कतर ने दावा किया कि उसने मिसाइलों को रोक लिया, और पेंटागन ने पुष्टि की कि हमले में कोई अमेरिकी हताहत नहीं हुआ। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने कतर को पहले ही चेतावनी दे दी थी, जिससे अमेरिका को भी हमले की जानकारी थी। विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम ईरान की रणनीति का हिस्सा था, जिससे वह जवाबी कार्रवाई तो कर सके, लेकिन पूर्ण युद्ध को टाल सके।

ट्रंप की प्रतिक्रिया और युद्धविराम की घोषणा

राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हमले को “बेहद कमजोर” करार दिया और कहा कि यह ईरान की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “ईरान का यह हमला हमारे सैन्य अड्डे पर कोई प्रभाव नहीं डाल सका। हमारी सेना पूरी तरह सुरक्षित है।” हालांकि, कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम की घोषणा की, जिसे उन्होंने “स्थायी शांति की दिशा में एक कदम” बताया। यह घोषणा अप्रत्याशित थी, क्योंकि ईरान ने पहले कहा था कि वह युद्ध के दौरान परमाणु वार्ता नहीं करेगा।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिकी हमलों के बाद, कई देशों ने युद्ध को और बढ़ने से रोकने की अपील की। रूस ने हमलों की निंदा करते हुए इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” बताया, जबकि यमन के हूती विद्रोहियों ने इसे “कायरतापूर्ण” करार दिया। यूरोपीय देशों ने ईरान को परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन जिनेवा में हुई बैठक बेनतीजा रही। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी UNHCR ने चेतावनी दी कि हमलों की तीव्रता के कारण ईरान और इजरायल में लोग विस्थापित हो रहे हैं। एजेंसी ने “तत्काल डी-एस्कलेशन” की मांग की।

ईरान की आंतरिक स्थिति

तेहरान में हमलों के बाद माहौल तनावपूर्ण है। अल जजीरा के अनुसार, ईरान में यह स्पष्ट नहीं है कि यह हमला उसकी जवाबी कार्रवाई का अंत है या और हमले होंगे। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खामनेई ने अभी तक हमले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके सलाहकार होसैन शारियतमदारी ने अमेरिकी नौसेना के जहाजों पर हमले और होरमुज की खाड़ी को बंद करने की धमकी दी है।

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