तेहरान। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने ईरान के परमाणु (Iran’s nuclear) कार्यक्रम को लेकर रविवार को सुबह-सुबह फिर से कड़े प्रतिबंध थोप दिए, जिससे पहले से ही आर्थिक मुश्किलों से घिरे इस देश के नागरिकों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। अंतिम क्षणों में कूटनीतिक कोशिशें नाकाम रहने के बाद ये प्रतिबंध 28 सितंबर को पूरी तरह लागू हो गए। इनमें विदेशी संपत्तियों को जब्त करना, हथियारों के व्यापार पर रोक लगाना और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर सख्त सजा देना जैसे कदम शामिल हैं। यह फैसला तब आया है जब ईरान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। राष्ट्रीय मुद्रा रियाल ऐतिहासिक निचले स्तर पर लुढ़क गई है, खाने-पीने की चीजों के दाम 40-50 फीसदी तक बढ़ चुके हैं और रोजमर्रा की जिंदगी बेहद कठिन हो गई है।
एपी की खबर के अनुसार, इन प्रतिबंधों से विदेशों में ईरानी संपत्तियां जमीनबंद हो गई हैं, तेहरान के साथ हथियार सौदे ठप हो गए हैं और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर कोई भी गतिविधि दंडनीय हो गई है। ये प्रतिबंध मूल रूप से 18 अक्टूबर 2025 तक समाप्त होने वाले थे, लेकिन ईरान की आईएईए (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के साथ प्रगति न होने से इन्हें लौटा दिया गया। वहीं, ईरान ने इन प्रतिबंधों को ‘अवैध’ बताते हुए जवाबी कदम उठाने की धमकी दी है।
दूसरी ओर विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रतिबंधों की बहाली से जून के बाद से चली आ रही तनावपूर्ण कूटनीति का अंत हो गया, जब इजरायल और अमेरिकी सेनाओं ने ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया था, जिससे परमाणु वार्ता पटरी से उतर गई। हालांकि, प्रतिबंधों के बावजूद पश्चिमी नेता बातचीत के द्वार बंद न करने पर अड़े हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ईरान से सद्भावपूर्ण प्रत्यक्ष वार्ता स्वीकार करने की अपील की और संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से तत्काल प्रतिबंध लागू करने को कहा, ताकि ईरानी नेताओं पर सही फैसले लेने का दबाव बने। यूरोपीय संघ की प्रमुख राजनयिक काजा कलास ने रविवार को स्पष्ट किया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ इन व्यापक प्रतिबंधों की वापसी से इस्लामी गणराज्य के साथ कूटनीति का अंत नहीं होना चाहिए। उनके बयान में कहा गया कि ईरानी परमाणु विवाद का स्थायी हल केवल बातचीत से ही संभव है।
गौरतलब है कि ईरान पहले से ही भयंकर आर्थिक मंदी का शिकार है, जहां रियाल का मूल्य रिकॉर्ड निचले पायदान पर है। आवश्यक वस्तुओं के दामों में भारी इजाफा होने से आम जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। माना जा रहा है कि नए प्रतिबंध तेल निर्यात और विदेशी निवेश पर अतिरिक्त बोझ डालेंगे, जिससे बेरोजगारी और महंगाई चरम पर पहुंच सकती है। जानकारों का आकलन है कि इससे ईरान की जीडीपी में 5-7 फीसदी की कमी आ सकती है।
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