
नई दिल्ली । इजरायल और ईरान (Israel and Iran) के बीच शुरू हुई जंग की आग फिलहाल थम गई है। 12 दिनों तक चले इस खूनी संघर्ष में ईरान के परमाणु ठिकानों (Nuclear bases) को इस जंग में कितना नुकसान पहुंचा है, इसे लेकर स्थिति पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है। एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Prime Minister Benjamin Netanyahu) ने कहा है कि उन्हें बड़ी सफलता मिली है, वहीं दूसरी तरफ यह दावा किया जा रहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम महज कुछ महीने पहले ही पीछे हुआ है। इन सब के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को देश में ही बड़े विद्रोह का डर सताने लगा है।
पूरे देश में अभियान शुरू
कई रिपोर्ट्स में इस बात को लेकर दावा किया गया था कि इजरायल के हमले के बाद ईरान में एक बड़े पैमाने पर विद्रोह शुरू हो सकता है और यह इस्लामिक शासन को उखाड़ फेंकेगा। हालांकि ईरान में ऐसे किसी भी खतरे को उठने से पहले से रोकने की कोशिशें जारी हैं। जानकारी के मुताबिक किसी भी विरोध की आशंका को देखते हुए खामेनेई और उनकी सरकार सतर्क हो गई है। खामेनेई को डर है कि इस नाजुक स्थिति में उनकी सत्ता के खिलाफ विरोध के स्वर उठ सकते हैं। ऐसे में पूरे देश में अभियान शुरू कर दिया गया है। सुरक्षा कार्रवाईयों को तेज करते हुए बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं। कुर्द जैसे अशांत क्षेत्रों में सेना की तैनाती भी बढ़ा दी गई है।
ईरानी सेना भी अलर्ट
ईरान के अधिकारियों ने बताया है कि 13 जून को इजरायली हमलों की शुरुआत के बाद से ईरानी सुरक्षा बल अलर्ट हैं। एक वरिष्ठ ईरानी सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि देश में रिवोल्यूशनरी गार्ड और अर्धसैनिक यूनिट्स को अलर्ट पर रखा गया है। अधिकारी ने कहा कि अधिकारी इजरायली एजेंटों, अलगाववादियों और पीपुल्स मुजाहिदीन संगठन को लेकर सतर्क हैं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि पाकिस्तान, इराक और अजरबैजान की सीमाओं पर सैनिकों को तैनात किया गया है ताकि किसी भी तरह की घुसपैठ पर नजर रखी जा सके। वहीं इजराइली हमलों की शुरुआत के बाद घर-घर की तलाशी भी ली गई थी।
सैंकड़ों गिरफ्तार
ईरान के एक अधिकार समूह HRNA ने सोमवार को बताया है कि युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक राजनीतिक या अन्य सुरक्षा से जुड़े आरोपों में कम से कम 705 लोगों की गिरफ्तार किया गया है। HRNA ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से कई पर इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप हैं। गौरतलब है कि ईरान के ज्यादातर सुन्नी मुस्लिम कुर्द और बलूच अल्पसंख्यक लंबे समय से इस्लामिक गणराज्य का विरोध करते रहे हैं। ये लोग ईरान में में फारसी-भाषी शिया सरकार के शासन के खिलाफ हैं और समय-समय पर विरोध के सुर उठते रहते हैं।
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