तेहरान। ईरान और इजरायल के बीच औपचारिक युद्धविराम (Iran–Israel ceasefire) लागू हुए चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन ईरान अब भी तबाही के मंजर और मानवीय त्रासदी (Human tragedy) से उबर नहीं पाया है। देश की न्यायपालिका के प्रवक्ता जहांगीर ने सोमवार को बताया कि हालिया इज़रायली हमलों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 935 हो गई है। इस आंकड़े ने युद्ध के भयानक प्रभाव और ईरान की आंतरिक स्थिति को और अधिक उजागर कर दिया है। रक्तरंजित एविन जेल से लेकर प्रमुख सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हुए हमलों तक, इजरायल ने ईरान को कई जख्म दिए हैं।
26 जून को लागू हुआ युद्धविराम
12 दिनों तक चले सैन्य संघर्ष के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते 26 जून को औपचारिक युद्धविराम लागू हुआ। हालांकि संघर्षविराम की घोषणा के बावजूद, कई इलाकों में तबाही के निशान और पीड़ितों की चीखें अब भी बाकी हैं। इस जंग को रुकवाने का श्रेय भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ले उड़े। ट्रंप सोशल मीडिया के जरिए सीजफायर होने और खुद को महान बताने से नहीं चूके।
एविन जेल पर भीषण हमला
तेहरान की एविन जेल पर इज़रायली मिसाइल हमले में ही अकेले 71 लोगों की मौत हुई। मरने वालों में कैदी, जेल स्टाफ और कुछ आम नागरिक भी शामिल हैं। ईरान का दावा है कि इज़रायल ने जानबूझकर ऐसे ठिकानों को निशाना बनाया, जहाँ उसके मुताबिक असैन्य लोग मौजूद थे। ईरानी सरकार के अनुसार, हमलों में मारे गए लोगों में सैन्य अधिकारी, वैज्ञानिक, नागरिक और सुरक्षा बलों के सदस्य शामिल हैं। इज़रायली अधिकारियों ने दावा किया था कि उन्होंने इन हमलों में 30 वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी और 11 परमाणु वैज्ञानिकों को टारगेट किया।
हमलों की निंदा
संयुक्त राष्ट्र और कई वैश्विक मानवाधिकार संगठनों ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन करार दिया है। चीन, रूस और यूरोपीय संघ ने ईरान की संप्रभुता का सम्मान करने की अपील करते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा, “यह केवल इज़रायल का हमला नहीं था, इसमें पश्चिमी समर्थन भी शामिल है। हमारे लोग माफ नहीं करेंगे।”
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