वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) पूरी कोशिश में जुटे हैं कि ईरान से न्यूक्लियर डील (nuclear deal with iran) हो जाए। इसे लेकर ईरान का रुख भी पॉजिटिव दिख रहा है। ईरान और अमेरिका (US) के बीच कोई डील होती है तो दुनिया में जारी वर्चस्व की जंगों का एक और मोर्चा खत्म हो सकता है। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से संबंध सामान्य किए हैं तो वहीं यूक्रेन और रूस को भी वार्ता के लिए प्रेरित कर रहे हैं। लेकिन इस बीच एक नया खतरा मंडरा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को डर है कि इजरायल की तरफ से वार्ता के बीच ही ईरान के परमाणु ठिकानों पर अटैक हो सकता है। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के आदेश पर यह अटैक हो सकता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार नेतन्याहू की ओर से यह आदेश अचानक ही दिया जा सकता है या फिर कुछ घंटे पहले ही अमेरिका को सूचित करके ऐसा हो सकता है। ऐसी स्थिति में अमेरिका के पास नेतन्याहू पर दबाव बनाने के लिए वक्त भी नहीं होगा। दरअसल ईरान के साथ डील को लेकर ट्रंप और नेतन्याहू के बीच गहरे मतभेद रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने रविवार को ही कहा था कि हमें उम्मीद है कि ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकने के प्रयास सफल होंगे। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यह देखना होगा कि ईरान यूरेनियम का जो भंडार जुटा चुका है, उसे लेकर क्या रुख अपनाता है।
वह यूरेनियम के भंडार को कैसे कम करता है और क्या उसे अपने देश से बाहर भेजेगा। ट्रंप ने हाल ही में मिडल ईस्ट का दौरा किया था। इस दौरान इजरायली अधिकारियों ने संकेत दिए थे कि उनकी ईरान पर हमले की प्लानिंग थी। वहीं अमेरिकी सूत्रों की भी ऐसी ही राय है। हालांकि यह भी सवाल है कि अमेरिका के सहयोग के बिना इजरायल का अटैक कैसा और कितना बड़ा होगा। वहीं इजरायली सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि यदि ईरान पर हमला हुआ तो फिर अमेरिका के सामने मजबूरी होगी कि वह मुस्लिम देश की तरफ से जवाब देने की स्थिति में मदद करे। इस तरह इजरायल की रणनीति है कि कैसे भी अमेरिका को साध लिया जाए।
ईरान ने वार्ता के लिए रखी हैं अमेरिका से क्या शर्तें
दरअसल ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को लेकर 2025 में चल रही वार्ता अहम मोड़ पर है। ईरान ने संकेत दिया है कि यदि अमेरिका के साथ परमाणु समझौता होता है, तो वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी IAEA के अमेरिकी निरीक्षकों को अपने परमाणु स्थलों पर आने की अनुमति दे सकता है। हालांकि, ईरान ने स्पष्ट किया है कि वह अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को अस्थायी रूप से भी निलंबित नहीं करेगा, जो अमेरिका के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि ईरान समझौते के लिए तैयार है, बशर्ते कि उसके शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के अधिकार को मान्यता दी जाए।
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