
नई दिल्ली. ईरान (Iran) के साथ चल रहे संघर्ष में इजरायल (Israel) को भारी आर्थिक नुकसान (Financial loss) उठाना पड़ रहा है. एक्सपर्ट बताते हैं कि सिर्फ ईरानी मिसाइलों (Missiles) को रोकने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे इंटरसेप्टर ही प्रतिदिन 200 मिलियन डॉलर यानी 17,32,41,30,000 रुपये (इंडियन करेंसी) तक की लागत आ रहे हैं. ये इंटरसेप्टर इजरायल की मिसाइल डिफेंस सिस्टम का अहम हिस्सा हैं और हर हमले के जवाब में इसकी खपत सबसे ज्यादा है.
शुरुआती आकलन के मुताबिक, अब तक इमारतों की मरम्मत और पुनर्निर्माण में कम से कम 400 मिलियन डॉलर का खर्च आ सकता है. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी खबरें हैं कि इजरायल के पास डिफेंसिव एरो इंटरसेप्टर की कमी हो रही है, जिससे यह चिंता बढ़ रही है कि अगर संघर्ष जल्द ही हल नहीं हुआ तो ईरान से आने वाली लॉन्ग रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों का मुकाबला करने की देश की क्षमता क्या होगी.
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अमेरिका को क्षमता की समस्याओं के बारे में महीनों से पता है और वाशिंगटन जमीन, समुद्र और हवा में सिस्टम के साथ इजरायल की सुरक्षा को बढ़ा रहा है. जून में संघर्ष बढ़ने के बाद से, पेंटागन ने इस क्षेत्र में और अधिक मिसाइल डिफेंसिव एक्वीपमेंट्स भेजे हैं, और अब अमेरिका को इंटरसेप्टर के खत्म करने की भी चिंता है.
मिडिल ईस्ट में अमेरिका का मूवमेंट्स
ईरान के साथ तनाव बढ़ने के साथ ही अमेरिका ने भी मिडिल ईस्ट में अपने हथियारों का मूवमेंट्स तेज कर दिया है. मसलन, उसका THAAD डिफेंस सिस्टम पहले से ही इजराल की सुरक्षा में तैनात हैं, जो ईरान की हाई-स्पीड मिसाइल को रोकने में सक्षम है. मसलन, अमेरिका ने फाइटर एयरक्राफ्ट, टैंकर एयरक्राफ्ट, बॉम्बर्स, वॉरफेयर सपोर्ट वेसल्स, स्ट्राइक कैरियर ग्रुप्स, मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स को तैनात किया है, और कई पहले से ही ईरान के आसपास के इलाकों में तैनात हैं, जहां अमेरिका के मिलिट्री बेस हैं.
ईरान पर हमले को लेकर ट्रंप का बदला बयान
बढ़ते तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका ईरान पर सैन्य हमला करेगा या नहीं, इसका फैसला अगले दो हफ्तों में लिया जाएगा. यह बयान उनकी हालिया आक्रामक टिप्पणियों से अलग नजर आया है, जिसमें उन्होंने हमले के आसार जल्द जताए थे.
व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान में ट्रंप ने कहा, “ईरान के साथ बातचीत की संभावनाएं बनी हुई हैं, जो जल्द हो सकती हैं या नहीं भी हो सकतीं.” ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि वह कूटनीति को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर ताकत के इस्तेमाल से पीछे नहीं हटेंगे.
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