न्यूयॉर्क । कतर की राजधानी दोहा (Doha) में हवाई हमलों को लेकर कई मित्र देश ही इजरायल (Israel) की आलोचना कर रहे हैं। लेकिन इजरायल पीछे हटने को तैयार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (unsc) में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि डैनी डैनन ने शुक्रवार को पश्चिमी सहयोगी देशों- खासकर फ्रांस और ब्रिटेन की कड़ी आलोचना की। उन्होंने दोहा में हमास के वरिष्ठ नेताओं पर की गई हवाई कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि ये देश खुद आतंकवाद के खिलाफ विदेशी धरती पर सैन्य कार्रवाइयां करते रहे हैं, लेकिन इजरायल के कदमों पर सवाल उठा रहे हैं।
दरअसल जब गाजा में युद्ध विराम के अमेरिकी प्रस्ताव पर विचार करने के लिए हमास नेता दोहा में एकत्र हुए थे तभी इसी दौरान इजराल ने हमला कर दिया जिसमें कम से कम छह लोग मारे गए। इस कदम को सही ठहराने के लिए डैनन ने अमेरिका के उस ऑपरेशन का हवाला दिया जिसमें ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में मारा गया था। इतना ही नहीं, दोहा में हवाई हमले के खिलाफ ज्ञान दे रहे फ्रांस और ब्रिटेन को भी इजरायली दूत ने खूब लताड़ लगाई।
यूएनएससी की बैठक में डैनन ने अपने भाषण में कहा, “जब पाकिस्तान में बिन लादेन को खत्म किया गया, तब किसी ने भी सवाल यह नहीं पूछा कि विदेशी धरती पर आतंकवादी को क्यों निशाना बनाया गया। आज भी ऐसा ही होना चाहिए। जब बिन लादेन के लिए कोई छूट नहीं थी तो हमास के लिए भी कोई छूट नहीं हो सकती।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इजरायल का ऑपरेशन “आत्मरक्षा” में किया गया और इसका उद्देश्य केवल हमास के आतंकियों को निशाना बनाना था, न कि कतर को।
डैनन ने फ्रांस और ब्रिटेन को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा, “फ्रांस ने माली, चाड, बुर्किना फासो और मॉरिटानिया में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की और उन्होंने विदेशी धरती पर बमबारी की। ब्रिटेन ने इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ हवाई हमले किए। क्या तब दुनिया ने उनकी निंदा की? नहीं। लेकिन जब इजरायल आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाता है, तो ये सहयोगी देश यूएन में हमें सबक सिखाने लगते हैं।” उन्होंने इन देशों पर “दोहरे मापदंड” अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिमी दुनिया को हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने और बंधकों की रिहाई की मांग करनी चाहिए।
क्या बोले फ्रांस और ब्रिटेन?
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के राजदूत जेरोम बोनाफोंट ने कतर में इजरायल के हमलों की निंदा करते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि “दो देश ढांचे पर आधारित एक राजनीतिक समाधान जरूरी है।” उन्होंने बेहतर शासन के साथ एक संप्रभु फिलिस्तीनी देश को मान्यता देने पर जोर दिया। वहीं ब्रिटेन की राजदूत डेम बारबरा वुडवर्ड ने कहा, “हम कतर पर हमले की पूरी तरह निंदा करते हैं, जिससे मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने या इजरायल की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई मदद नहीं मिलेगी।”
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