
बंगलूरू। इसरो ने एक और कामयाबी हासिल की है। दरअसल शुक्रवार को इसरो ने एक बयान में बताया कि उन्होंने 10 टन के प्रोपेलेंट मिक्सर को विकसित करने में सफलता हासिल की है। गौरतलब है कि प्रोपल्शन इसरो के ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स और और वर्टिकल मिक्सर के लिए बेहद जरूरी उपकरण है। इन्हीं की मदद से रॉकेट की सॉलिड मोटर का उत्पादन संभव हो पाता है। यही वजह है कि रॉकेट परिचालन के लिहाज से यह एक बड़ी कामयाबी है।
इसरो ने बयान में कहा कि ‘सॉलिड प्रोपेलेंट, रॉकेट की मोटर की रीढ़ माना जाता है। सॉलिड प्रोपेलेंट के उत्पादन के लिए बेहद संवेदनशील तत्वों को सटीक तरीके से मिश्रित करने की जरूरत होती है।’ इसरो ने कहा कि सॉलिड मोटर सेगमेंट के उत्पादन को बढ़ाने के लिए श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर ने सेंट्रल मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, बंगलूरू के साथ मिलकर सफलतापूर्वक 10 टन का वर्टिकल प्लेनेटरी मिक्सर विकसित किया है।
इसरो का कहना है कि 10 टन का वर्टिकल मिक्सर दुनिया का सबसे बड़ा सॉलिड प्रोपेलेंट मिश्रण उपकरण है। शिक्षा और उद्योग जगत के सहयोग से यह उपलब्धि हासिल की है। इस उपलब्धि के बाद सॉलिड मोटर्स के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और साथ ही मोटर्स की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग ने कई पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत अहम तकनीक, उपकरणों और मशीनों के देश में ही विकास से अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। प्रोपेलेंट मिक्सर का विकास तकनीक के क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत का उदाहरण है। गुरुवार को इसरो चीफ वी नारायणन और सीएमटीआई के निदेशक की मौजूदगी में 10 टन का वर्टिकल मिक्सर एसडीएससी एसएचएआर के निदेश को सौंपा गया। इस मिक्सर का कुल वजन 150 टन और लंबाई 5.4 मीटर है।
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