
ओटावा। शारीरिक संबंध बनाते समय अगर आप साथी की अनुमति के बिना चुपके से निरोध निकालते हैं तो ये अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। यौन उत्पीड़न के एक मामले में कनाडा के सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ही फैसला सुनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला 2017 का है, जिसमें ऑनलाइन माध्यम से मित्रता के बाद एक कपल ने मुलाकात के दौरान शारीरिक संबंध बनाए। दूसरी बार संबंध बनाने के दौरान पुरुष ने महिला को बिना बनाए निरोध को चुपके से निकाल दिया।
जब महिला को इसकी जानकारी हुई तो उसने एचआईवी से बचने के लिए दवाएं लीं। जिसके बाद महिला ने इसे लेकर प्रतिवादी रॉस मैकेंजी किर्कपैट्रिक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। हालांकि, निचली अदालत के न्यायाधीश ने किर्कपैट्रिक के इस तर्क को स्वीकार करते हुए आरोप को खारिज कर दिया कि शिकायतकर्ता महिला ने निरोध ना पहनने के बावजूद संबंध बनाने के लिए हामी भरी थी।
इस मामले में निचली अदालत के फैसले को ब्रिटिश कोलंबिया कोर्ट ऑफ अपील ने पलट दिया। इसने एक नया टेस्ट कराने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ किर्कपैट्रिक ने पिछले साल नवंबर में देश की शीर्ष अदालत में अपील की थी। मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि निरोध का उपयोग अप्रासंगिक, गौण या आकस्मिक नहीं हो सकता है, खासकर तब जब शिकायतकर्ता ने इसके प्रयोग के लिए अपनी सहमति स्पष्ट रूप से दी हो।
इस पर प्रतिवादी के वकील ने कहा कि आपराधिक संहिता की ये नई व्याख्या यौन सहमति के नियमों को काफी हद तक बदल देगी, जिससे यह बाध्यकारी अनुबंध की तरह हो जाएगा जिस पर पहले से हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। इस मामले को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन और स्विटजरलैंड की अदालतों ने लोगों को शारीरिक संबंध बनाने के दौरान निरोध निकालने के अपराध में दोषी ठहराया है।
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