
मुंबई । कबूतरों को दाना डालने वाले विवाद के बाद अब मुंबई (Mumbai) के बूचड़खानों (Slaughterhouses) पर पर्यूषण पर्व (Paryushan festival) के दौरान पूरे शहर में 10 दिनों तक बैन नहीं लगाने पर जैन समुदाय (Jain Community) ने अपनी नाराजगी जाहिर की है और उसके लिए बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) का दरवाजा खटखटाया है। बुधवार को जैन समुदाय के सदस्यों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में तर्क दिया कि बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की तुलना में मुगल बादशाह अकबर को मनाना ज्यादा आसान था। हालांकि, हाई कोर्ट ने जैन समुदाय से कहा कि अगर वे पवित्र पर्यूषण पर्व के दौरान शहर में बूचड़खानों पर पूरे हफ्ते के लिए प्रतिबंध चाहते हैं, तो उन्हें नगर निगम को मनाना ही होगा।
दरअसल, सुनवाई के दौरान जैन समुदाय पर्यूषण पर्व की पूरी अवधि यानी 10 दिनों के लिए मुंबई में बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा था, तभी हाई कोर्ट ने उन्हें बीएमसी को मनाने का निर्देश दिया। इस पर जवाब देते हुए, जैन समुदाय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रसाद ढकेफालकर ने तर्क दिया, “जैन समुदाय के लिए मुगल बादशाह अकबर को पर्यूषण पर्व के दौरान बूचड़खानों को बंद करने के लिए राजी करना आसान था, लेकिन राज्य सरकार और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को ऐसा करने के लिए राजी करना बहुत मुश्किल है।”
बादशाह अकबर ने बूचड़खानों पर लगाई थी रोक
ढकेफालकर ने कहा कि बादशाह अकबर ने उस समय गुजरात में पर्यूषण पर्व के दौरान बूचड़खानों को बंद करने का आदेश दिया था। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जैन समुदाय की याचिका पर चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की खंडपीठ ने बीएमसी आयुक्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें पर्यूषण पर्व के दौरान केवल दो दिनों के लिए बूचड़खानों को बंद करने का आदेश दिया गया था, जबकि यह पर्व पूरे एक सप्ताह तक चलता है। इसके साथ ही कोर्ट ने जैन समुदाय के सदस्यों को 10 दिनों के लिए बूचड़खानों को बंद करने के अनुरोध पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
10 दिनों की बंदी की मांग का अधिकार कहां से मिला?
हालांकि, पीठ ने कहा कि वह समुदाय की भावनाओं का सम्मान करती है, लेकिन सवाल यह है कि उसे (समुदाय को) बूचड़खानों को 10 दिनों तक बंद रखने की मांग करने का अधिकार कहां (किस वैधानिक प्रावधान) से मिलता है। याचिकाओं में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) आयुक्त द्वारा 14 अगस्त को पारित आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें बूचड़खानों को केवल दो दिनों के लिए बंद करने की अनुमति दी गई थी। आयुक्त ने तर्क दिया था कि शहर में जैन समुदाय की आबादी कम है।
पर्यूषण पर्व कब से कब तक?
जैन धर्म की दिगंबर शाखा 20 से 27 अगस्त तक और श्वेतांबर शाखा 21 से 28 अगस्त तक पर्यूषण पर्व मनायेगी। उच्च न्यायालय ने कोई राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा कोई ठोस दलील नहीं दी गयी है। उच्च न्यायालय ने पूछा, ‘‘हम आपकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन हमें बताइए कि आपको बूचड़खानों को 10 दिनों के लिए बंद करने का अधिकार कहां (किसी वैधानिक प्रावधान) से मिलता है।’’
वर्ष में 16 दिन बूचड़खानों को बंद रखने की अधिसूचना
बीएमसी ने अदालत को बताया कि वर्तमान में सरकार ने वर्ष में 16 दिन बूचड़खानों को बंद रखने की अधिसूचना जारी की है। अदालत ने कहा कि याचिकाओं पर सुनवाई होगी और बीएमसी तथा राज्य सरकार को नोटिस जारी किया जाएगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की। याचिकाओं में दावा किया गया था कि पर्यूषण पर्व अहिंसा के महत्व को दर्शाता है और इसलिए इस पवित्र समय में बूचड़खाने खुले रहना जैन धर्म के लिए सही नहीं होगा।
बूचड़खाने दो दिन 24 और 27 अगस्त को बंद
महानगरपालिका ने उच्च न्यायालय को बताया कि बूचड़खाने दो दिन – 24 और 27 अगस्त – के लिए बंद रहेंगे। उसने कहा कि इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता क्योंकि शहर का देवनार बूचड़खाना केवल मुंबई ही नहीं, बल्कि पूरे मुंबई महानगर क्षेत्र के लिए है।एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रसाद ढकेफालकर ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि जैन समुदाय के लिए सम्राट अकबर को पर्यूषण के दौरान बूचड़खाने बंद रखने के लिए मनाना आसान था।
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