
नई दिल्ली । श्रीनगर(Srinagar) की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद (Jamia Mosque)में लगातार छठे साल शब-ए-बरात(year shab-e-barat) के मौके पर सामूहिक नमाज की इजाजत(Permission for collective prayers) नहीं दी गई। वहीं पुलिस ने मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी पुलिस की इस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि अब भी लोग कानून व्यवस्था और प्रशासन पर यकीन नहीं कर सकते।
उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, इतने पवित्र मौके पर ऐतिहासिक जामिया मस्जिद को सील कर देना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे लोगों के विश्वास को धक्का लगा है। श्रीनगर की पुलिस को कोई बेहतर रास्ता निकालना चाहिए था। उन्हें लगता है कि जब तक सख्ती नहीं होगी तब तक शांति नहीं हो सकती। हालांकि श्रीनगर के लोग बेहतर के हकदार हैं।
वहीं अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद की तरफ से कहा गया कि मीरवाइज फारूक को गुरुवार सुबह ही उनके आवास में ही कैद कर दिया गया। ऐसे में वे नमाज अदा करने मस्जिद भी नहीं जा पाए। वहीं मस्जिद प्रबंधन का कहना है कि पुलिस ने उन्हें जानकारी दी थी की रात में शब-ए-बरात के मौके पर नमाज की अनुमति नहीं दी जाएगी। आम तौर पर मीरवाइज की अगुआई में ही जामिया मस्जिद में नमाज होती थी।
बता दें कि बीते पांच सालों में भी जामिया मस्जिद में शब-ए-बरात की नमाज की अनुमति नहीं दी गई है। 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से ही इसपर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अंजुमन औकाफ की तरफ से कहा गया कि बड़ी संख्या में लोग ऐतिहासिक औऱ पवित्र मस्जिद में नमाज अदा करना चाहते थे। लेकिन पुलिस प्रशासन ने जबरन मस्जिद को बंद करवा दिया और मीरवाइज को नजरबंद कर दिया। लोगों के मौलिक धार्मिक अधिकार का हनन हो रहा है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को बड़ा धक्का लगा है।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह खबर सुनकर हैरान हूं कि जामा मस्जिद को बंद कर दिया गया। वहीं आम जनता को यहां जाने से ही रोक दिया गया। उन्होंने उपराज्यपाल और उमर अब्दुल्ला से सवाल किया कि क्या इस बारे में कोई जवाब दिया जाएगा। उन्होंने पुलिस के इस कदम को असंवैधानिक बताया है।
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