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ताइवान-चीन तनाव के बीच जापान ने तैनात कर दी खतरनाक मिसाइलें

November 25, 2025

वीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) ने सोमवार (24 नवंबर 2025) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) से टेलीफोन पर बात की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने तथा सहयोग के नए क्षेत्र तलाशने पर जोर दिया। यह बातचीत अक्टूबर 2025 में दक्षिण कोरिया के बुसान में हुई उनकी मुलाकात के बाद हुई, जिसमें व्यापारिक तनाव कम करने पर सहमति बनी थी। यह फोन कॉल ऐसे वक्त आया है जब ताइवान जलसंधि में स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है और चीन-जापान संबंध अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं।

चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों के बीच हाल में आई सकारात्मक गति को बनाए रखना चाहिए और सहयोग के नए अवसरों को बढ़ावा देना चाहिए। वाइट हाउस ने भी बातचीत की पुष्टि की, लेकिन कोई विस्तृत ब्योरा नहीं दिया। शिन्हुआ की रिपोर्ट में शी जिनपिंग के हवाले से कहा गया कि ताइवान का चीन में वापसी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने याद दिलाया कि उस समय चीन और अमेरिका ने फासीवाद और सैन्यवाद के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी थी, इसलिए अब दोनों देशों का दायित्व है कि मिलकर युद्ध के परिणामों की रक्षा करें।



दरअल, चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और जरूरत पड़ी तो बलप्रयोग से भी उसे हासिल करने से नहीं हिचकता। दूसरी ओर, ताइवान की लोकतांत्रिक सरकार बीजिंग के दावों को पूरी तरह खारिज करती है और कहती है कि केवल ताइवान की जनता ही अपना भविष्य तय कर सकती है। इसी बीच जापान के साथ चीन का सबसे गंभीर कूटनीतिक संकट चल रहा है। जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने इस महीने कहा था कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो यह जापान के लिए सैन्य कार्रवाई का आधार बन सकता है।

जवाब में चीन ने जापान पर आरोप लगाया कि वह ताइवान के निकट योना‍गुनी द्वीप पर मध्यम दूरी की मिसाइलें तैनात करके क्षेत्र में तनाव बढ़ा रहा है और सैन्य टकराव को उकसा रहा है। चीन का कहना है कि यह तैनाती उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। दूसरी ओर जापान ने इसका कड़ा जवाब दिया और कहा कि यह कदम अपने क्षेत्र एवं योना‍गुनी द्वीप की रक्षा के लिए जरूरी है। जापान के रक्षा मंत्री शिंजिरो कोइजूमी ने स्पष्ट किया कि मिसाइल तैनाती से युद्ध की आशंका कम होती है, बढ़ती नहीं।

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