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मोदी के दौरे से पहले जापानी अधिकारियों ने रद्द की अमेरिका यात्रा

August 29, 2025

टोक्यो। जापान (Japan) के शीर्ष व्यापार वार्ताकार रयोसेई अकाजावा ने गुरुवार को आखिरी समय में अपनी अमेरिका यात्रा रद्द कर दी। इससे दोनों देशों के बीच 550 अरब डॉलर के निवेश पैकेज को अंतिम रूप देने में देरी होने की संभावना बढ़ गई है। यह पैकेज जापान ने अमेरिका (Japan America) द्वारा लगाए गए कठोर टैरिफ (आयात शुल्क) को कम करने के बदले में प्रस्तावित किया था। सीधे शब्दों में कहें तो जापान ने ट्रंप से ट्रेड डील के बदले में वादा किया था कि वह अमेरिका में 550 अरब डॉलर निवेश करेगा और अमेरिका टैरिफ में ढील देगा। हालांकि अब जापान इससे परेशान नजर आ रहा है। यहां दिलचस्प बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से ठीक पहले जापानी अधिकारियों ने अपनी अमेरिकी यात्रा रद्द की है। बता दें कि भारत इस समय ट्रंप के सबसे ज्यादा 50 फीसदी टैरिफ की मार झेल रहा है। भारत के अलावा, केवल ब्राजील ऐसा देश है जिस पर 50 फीसदी टैरिफ लगा है।

अकाजावा का कार्यक्रम गुरुवार को अमेरिका पहुंचकर इस निवेश पैकेज और उससे जुड़ी वित्तीय रूपरेखा तय करना था जिसमें दोनों देशों के बीच रिटर्न का बंटवारा आदि शामिल है। वहीं अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने इस सप्ताह जापान के 550 अरब डॉलर निवेश पैकेज पर आधिकारिक घोषणा की संभावना जताई थी।

जापानी सरकार के प्रवक्ता योशिमासा हायाशी ने दौरा रद्द होने की पुष्टि करते हुए कहा, “अमेरिकी पक्ष के साथ समन्वय के दौरान पाया गया कि प्रशासनिक स्तर पर कुछ मुद्दों पर और चर्चा आवश्यक है। इसलिए यह यात्रा रद्द की गई है।” हयाशी ने यह भी कहा कि जापान ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह आपसी टैरिफ से संबंधित राष्ट्रपति के आदेश में संशोधन करे और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ कम करने के लिए एक नया राष्ट्रपति आदेश जारी करे।



टैरिफ कटौती और मुनाफे को लेकर विवाद
दोनों देशों के बीच हुई समझौता वार्ता में अमेरिका ने टोक्यो से होने वाले आयात पर शुल्क को 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने पर सहमति जताई थी। बदले में जापान ने निवेश पैकेज का वादा किया था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि यह पैकेज “हमारे पैसे का निवेश है, जिसे हम अपनी इच्छा से करेंगे” और कहा कि अमेरिका इस निवेश से होने वाले 90 प्रतिशत मुनाफे पर कब्जा रखेगा। इस दावे का जापानी अधिकारियों ने विरोध किया और जोर दिया कि निवेश दोनों देशों के लिए समान लाभकारी होना चाहिए।

हायाशी ने राष्ट्रपति आदेश में संशोधन की भी मांग रखी। उन्होंने कहा, “हम दृढ़ता से अनुरोध कर रहे हैं कि परस्पर टैरिफ से जुड़े राष्ट्रपति आदेश में जल्द से जल्द संशोधन किया जाए और ऑटो पार्ट्स पर शुल्क कम करने के लिए नया आदेश जारी किया जाए।” जापानी अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि वे पहले राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश में संशोधन चाहते हैं ताकि जापानी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ हटाए जाएं, इसके बाद ही निवेश विवरण पर संयुक्त दस्तावेज जारी किया जाएगा।

जापानी मीडिया आउटलेट क्योडो न्यूज के अनुसार, यह तय नहीं हुआ है कि अकाजावा अपनी यात्रा को दोबारा शेड्यूल करेंगे या नहीं, जबकि रॉयटर्स ने बताया कि वह अगले सप्ताह वाशिंगटन जा सकते हैं, यदि बकाया मुद्दे सुलझ जाते हैं तो।

यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29-30 अगस्त को जापान की दो दिवसीय यात्रा पर गए हैं। यह यात्रा जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के निमंत्रण पर हो रही है। यह 15वां भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन है, जिसमें दोनों नेता अपनी रणनीतिक साझेदारी के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से क्वाड पर चर्चा करेंगे।

जापान की अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ का गहरा असर पड़ रहा है। जुलाई में जापान के निर्यात में चार साल में सबसे बड़ी मासिक गिरावट दर्ज की गई, मुख्य रूप से अमेरिका में शिपमेंट में कमी के कारण। इसके परिणामस्वरूप, जापान ने अपनी आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 1.2 प्रतिशत से घटाकर 0.7 प्रतिशत कर दिया। इस बीच, जापानी ऑटो उद्योग, जो देश में 8 प्रतिशत नौकरियों के लिए जिम्मेदार है, उसको 25 प्रतिशत टैरिफ से भारी नुकसान हो रहा है।

यह व्यापारिक तनाव जापान के लिए महत्वपूर्ण समय पर सामने आया है, क्योंकि प्रधानमंत्री इशिबा को घरेलू राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने हाल ही में संसद के दोनों सदनों में बहुमत खो दिया है, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हुई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने यह भी दावा किया है कि इशिबा अगले महीने अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं, हालांकि उनके करीबी सहयोगियों ने इन खबरों का खंडन किया है। जापान-अमेरिका व्यापार सौदे के भविष्य पर अनिश्चितता बनी हुई है, और दोनों पक्षों के बीच प्रशासनिक और तकनीकी मुद्दों को हल करने के लिए और समय चाहिए। इस बीच, भारत और जापान के बीच आगामी शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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