
रांची । झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने केंद्र सरकार (Central Government) पर फिर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र अगर रॉयल्टी का बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपए झारखंड को नहीं देता है तो वह कोयला रोकने की भी ताकत रखते हैं। जरूरत पड़ी तो झारखंड की कोयला खदानों (coal mines) को बंद करा देंगे। अगर अपने पर आ जाएं तो पूरे देश में अंधेरा छा जाएगा। सीएम मंगलवार को धनबाद में आयोजित झामुमो के 53वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर हमारी मांगों पर केंद्र सरकार गंभीरता से विचार नहीं करती है तो हम अपना हक छीन कर लेंगे। झारखंड में कोयला खनन के बाद खाली पड़ी जमीन को अब रैयतों को वापस करना होगा। खाली जमीन पर रैयतों का हक है और अगर कोयला कंपनी ऐसा नहीं करती है तो हमें अपना अधिकार जबरन लेना होगा। हमें अपनी जमीन वापस लेने के लिए एक लड़ाई और लड़नी होगी। इसके लिए एकजुट होना होगा।
झारखंड सालाना 125 मिलियन टन कोयले का करता है उत्पादन
बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल की खदानों को मिलाकर झारखंड में प्रतिदिन औसतन तीन लाख टन कोयले का उत्पादन होता है। इस हिसाब से झारखंड सालाना 125 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करता है। इस कोयले की आपूर्ति देश के कई राज्यों के बिजली घरों और कई उद्योगों के अलावा झारखंड में मौजूद कोकिंग कोल इस्पात कंपनियों को की जाती है। यहां का कोयला बिहार, प. बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान समेत 12 राज्यों को भेजा जाता है। एनटीपीसी और डीवीसी जैसी देश की सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियां यहां के कोयले पर निर्भर हैं।
बता दें कि देशभर में प्रतिदिन औसतन 3.5 मिलियन टन यानी 35 लाख टन कोयले का उत्पादन होता है, यानी देश में कोयले का सालाना उत्पादन लगभग हजार मिलियन टन तक होता है।
मंईयां योजना का मजाक उड़ाने वाले कर रहे नकल
सीएम ने कहा कि जब हम मंईयां सम्मान योजना का लाभ देने की बात करते थे तो भाजपा वाले मजाक उड़ाते थे। आज यही भाजपा दिल्ली चुनाव और बिहार में होने वाले चुनाव में मंईयां सम्मान की नकल करते हुए वैसी ही योजना ला रही है।
सरकार आपके द्वार कार्यक्रम फिर शुरू होगा
सीएम ने कहा कि राज्य में एक बार फिर सरकार आपके द्वार कार्यक्रम शुरू होगा। जहां अधिकारी जनता तक पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुनेंगे और उसे हर हाल में दूर करने का काम करेंगे।
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