
सिर्फ अल्फ़ाज़ में उलझे हैं ये सरवन ये सलीम,एक भगवान,ख़ुदा एक तो कैसी तक़्सीम,बात सच्ची है तो सच कहते हैं ये दोनो हकीम, है जो पूजा में श्री राम इबादत में रहीम, जोड़ कर देखिए अब फ़र्क कहां मिलता है, वहां झगड़ा न हो ईमान जहां मिलता है।
क्या हसीन और खूबसूरत एहसास और मज़हबी शिद्दत के दिन चल रहे हैं। शक्ति की भक्ति की आराधना के पवित्र चैत्र नवरात्र का आगाज़ हो चुका है। वहीं आज जुमे के दिन मुक़द्दस रमज़ान की इब्तिदा हो गई है। भोपाल के अखबारों और न्यूज़ चैनलों में हिन्दू और मुस्लिम सहाफी (पत्रकार) और दीगर स्टाफ काम करता है। इनमे से कई हिन्दू सहाफी पूरे 9 दिन जहां माता की भक्ति में लीन रहते हुए उपवास करते हैं, वहीं ज़्यादातर मुस्लिम सहाफी रमज़ान माह के दौरान मुक़द्दस रोज़ों का एहतराम करते हैं। कमाल की बात ये है कि नोकरी से बिना छुट्टी लिए चैत्र नवरात्र की आराधना और रोज़ों के साथ ही तिलावते कुरान, पांचों वक्त की नमाज़ के अलावा तराबीह की नमाज़ बिला नागा अदा की जाती है। ज़ाहिर है इन दिनों सहाफियों (पत्रकारों) का मंदिर और मस्जिद जाना बढ़ जाता है।
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