
नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (Chief Justice of India-CJI) यूयू ललित (UU Lalit) ने अगले प्रधान न्यायाधीश (next chief justice) के पद के लिए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) के नाम की सिफारिश की है। अगले महीने वह देश के 50वें सीजेआई बनेंगे। खास बात यह है कि उनके सीजेआई बनने के बाद पहली बार ऐसा होगा जब कोई पिता-पुत्र न्यायपालिका के शीर्ष पद तक पहुंचेंगे। उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ (YV Chandrachud) भी सीजेआई रह चुके हैं।
जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ 1978 में देश के प्रधान न्यायाधीश बने थे। वह 1985 में सेवानिवृत्त हो गए थे। खास बात यह भी है कि वह देश के सबसे लंबे समय तक प्रधान न्यायाधीश रहने वाले जज हैं। अब उनके बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी लगभग दो साल देश के सीजेआई रहेंगे।
संजय गांधी को सुनाई थी सजा
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ ने संजय गांधी को ‘किस्सा कुर्सी का’ फिल्म के मामले में जेल की सजा सुनाई थी। यह फिल्म एक व्यंग्य पर आधारित थी जो कि इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी पर किया गया था। इमर्जेंसी के दौरान सरकार ने इस फिल्म को बैन कर दिया था।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पिता के ही फैसलों को पलटा
साल 2017-18 में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता के ही दो फैसलों को पलट दिया था। उन्होंने एडल्टरी लॉ और शिवकांत शुक्ला बनाम एडीएम जबलपुर फैसले को पलट दिया था। उन्होंने कहा था कि अब सेक्शुअल ऑटोनॉमी को महत्व मिलना चाहिए। अग्रेजों के जमाने का कानून पितृसत्तात्मक सोच को प्रदर्शित करता है।
इसके अलावा भी उन्होंने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले दिए हैं। 21 अगस्त को नोएडा में गिराए गए ट्विन टावर को ढहाने का भी आदेश देने में उनका बड़ा हाथ था। इसके अलावा महिलाओं को गर्भपात का का अधिकार देने वाली बेंच की भी अगुवाई जस्टिस चंद्रचूड़ ही कर रहे थे। अयोध्या मामले में फैसला देने वाली बेंच की भी जस्टिस चंद्रचूड़ हिस्सा थे।
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