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अल्पसंख्यकों से जुड़े मामले पर भड़कीं जस्टिस नागरत्ना, याचिकाकर्ता पर लगाया 1 लाख का जुर्माना, जाने पूरा मामला

December 13, 2025

 

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने शुक्रवार (12 दिसंबर) को उस रिट याचिकाकर्ता(Petitioner) को कड़़ी फटकार लगाई, जिसने अल्पसंख्यक(minority) विद्यालयों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत छूट देने के शीर्ष न्यायालय के पूर्व के आदेश को चुनौती दी थी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इस रिट पिटीशन को देश की न्यायपालिका को नीचा दिखाने और उसे ध्वस्त करे की एक कोशिश करार दिया और याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया।

जस्टिस नागरत्ना ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की, “आप सुप्रीम कोर्ट के साथ ऐसा नहीं कर सकते। हम गुस्से में हैं। अगर आप ऐसे मामले दायर करना शुरू कर देंगे तो यह इस देश की पूरी न्याय प्रणाली के खिलाफ होगा। आपको अपने मामले की गंभीरता का पता नहीं है। हम खुद को 1 लाख रुपये के जुर्माने तक ही सीमित रख रहे हैं। ऐसे मामले दायर करके इस देश की न्यायपालिका को नीचा न दिखाएं।”

न्यायपालिका को बदनाम मत कीजिए
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि वकील सुप्रीम कोर्ट के अपने ही फैसलों के खिलाफ ऐसी याचिकाएं दायर करने की सलाह कैसे दे रहे हैं? याचिका दायर करने के लिए वकील को फटकार लगाते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह के मामले दायर करके देश की न्यायपालिका को बदनाम मत कीजिए। यहां क्या हो रहा है? क्या वकील इस तरह की सलाह दे रहे हैं? हमें वकीलों को दंडित करना होगा।’’ पीठ ने कहा, “हम केवल एक लाख रुपये का जुर्माना ही लगा रहे हैं।’’



आप देश की न्यायपालिका को ध्वस्त करना चाहते हैं
न्यायालय ने कहा, ‘‘आप कानून के जानकार लोग और पेशेवर हैं और आप अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर करते हैं? घोर दुरुपयोग। हम संयम बरत रहे हैं। हम अवमानना ​​का आदेश जारी नहीं कर रहे हैं। आप इस देश की न्यायपालिका को ध्वस्त करना चाहते हैं।’’

किस NGO ने दायर की थी याचिका?
उच्चतम न्यायालय गैर-सरकारी संगठन ‘यूनाइटेड वॉइस फॉर एजुकेशन फोरम’ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को दी गई छूट असंवैधानिक है क्योंकि यह उन्हें शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के दायित्वों से पूर्ण रूप से छूट प्रदान करती है। न्यायालय ने 2014 में दिए फैसले में कहा था कि आरटीई अधिनियम अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक विद्यालयों पर लागू नहीं होता है, जो धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और शासन का अधिकार प्रदान करता है।

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