
नई दिल्ली । इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के न्यायाधीश यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार को सुनवाई करने जा रहा है। इस याचिका में उन्होंने नकदी के बरामद होने से जुड़ी आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य घोषित करने का अनुरोध किया है। अब खबर है कि जस्टिस वर्मा की तरफ दाखिल याचिका में खुद की पहचान छिपाई गई है और XXX दर्ज किया गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में उनके नाम की जगह XXX लिखा हुआ है। खास बात है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिकॉर्ड में इस तरह से पहचान तब दर्ज कराई जाती है, जब मामला यौन उत्पीड़न या यौन हिंसा की शिकार महिला का हो। साथ ही नाबालिगों और विवाह से जुड़े विवादों में नाबालिग बच्चों के पहचान इस तरह से छिपाई जाती है।
खबर है कि जस्टिस वर्मा की याचिका XXX बनाम भारत संघ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई इस साल की 699वीं सिविल रिट याचिका है। इसमें केंद्र प्रथम और सुप्रीम कोर्ट दूसरा प्रतिवादी है। 17 जुलाई को यह याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद रजिस्ट्री की तरफ से कुछ खामियां बताई गई थीं। ठीक किए जाने के बाद एपेक्स कोर्ट ने 24 जुलाई को याचिका दर्ज कर ली।
खास बात है कि जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने सूचीबद्ध जस्टिस वर्मा की याचिका का सीरियल नंबर 56 है। जबकि, 59 नंबर पर सोमवार को ही एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्पारा की याचिका है। इसमें वकील ने नकदी, इसे जलाए जाने और बाद में गायब हो जाने के रहस्य उजागर करने के लिए जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR की मांग की है।
जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की आठ मई की सिफारिश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्होंने संसद से उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया था। जस्टिस वर्मा ने कहा कि जांच ने साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी बचाव पक्ष पर डाल दी, जिसके तहत उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जांच करने और उन्हें गलत साबित करने का भार उन पर डाल दिया गया है।

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