
उज्जैन। कालिदास की नगरी उज्जैन में कल शाम कालिदास समारोह का विधिवत उद्घाटन हुआ। जिसे राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कालिदास हमारी परंपरा के गौरव हैं।
कल देवप्रबोधिनी एकादशी से कालिदास अकादमी में कालिदास समारोह का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल शामिल हुए और उन्होंने समारोह का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि तुलसी पीठाधीश्वर पद्म विभूषण जगदगुरू स्वामी रामभद्राचार्यजी महाराज थे। अध्यक्षता मध्य प्रदेश शासन की संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने की। कार्यक्रम में सांसद अनिल फिरोजिया, महापौर मुकेश टटवाल, विधायक महिदपुर बहादुरसिंह चौहान बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए। शुक्रवार को कालिदास संस्कृत अकादमी के पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागृह में विक्रम विश्वविद्यालय और कालिदास संस्कृत अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के संयुक्त तत्वावधान में कालिदास समारोह का शुभारम्भ कार्यक्रम आयोजित किया गया। शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के स्टाफ और विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती गान और इसके पश्चात मध्य प्रदेश गान का गायन किया गया। संस्कृति मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा शाल और श्रीफल भेंट कर राज्यपाल का स्वागत किया गया। इसके पश्चात अतिथियों द्वारा पुस्तक दुर्वा और मेघदूत का भोजपुरी अनुवाद, कालिदास राष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी के ब्रोशर का विमोचन किया गया। कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक और संचालक संस्कृति संचालनालय भोपाल अदिति कुमार त्रिपाठी ने स्वागत भाषण दिया। मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा पद्मभूषण बुधादित्य मुखर्जी (सितार वादन), पद्मश्री डॉ.पुरू दाधिच (कथक नृत्य), वासुदेव कामथ (चित्रकला) और रंगकर्मी एवं प्रसिद्ध अभिनेता राजीव वर्मा को शासन के प्रतिष्ठित अलंकरण ‘राष्ट्रीय कालिदास सम्मानÓ से विभूषित किया गया। जानकारी दी गई कि पहली बार ये चारों सम्मान कालिदास समारोह में दिये जा रहे हैं। उपरोक्त सभी कलाकारों ने मध्य प्रदेश शासन के प्रति सम्मानित किये जाने पर आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि स्वामी रामभद्रांचार्यजी महाराज ने संस्कृत में आशीर्वचन दिया। संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि महाकवि कालिदास के सम्पूर्ण जीवन का वर्णन हमारे द्वारा समय-समय पर सुना और पढ़ा जाता रहा है।
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