
जयपुर: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gahlot) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कन्हैया लाल (Kanhaiya Lal) हत्या मामले, चुनाव आयोग (Election Commission) की कार्यप्रणाली और मौजूदा हालात में लोकतंत्र की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आज भारत छोड़ो आंदोलन दिवस है, लेकिन देश के संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर खतरा मंडरा रहा है. अशोक गहलोत ने कहा कि कन्हैया लाल हत्या मामले पर फिल्म के बारे में तो वह कुछ नहीं कह सकते, लेकिन घटना के कुछ घंटों के भीतर ही हत्यारों को पकड़ लिया गया था. वह खुद पीड़ित परिवार से मिले थे और पहली बार किसी को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था. लेकिन उसी रात NIA ने केस अपने हाथ में ले लिया और आज तक कोई अपडेट नहीं आया.
उन्होंने कहा, “तीन साल हो गए लेकिन सजा नहीं हुई. अमित शाह आते रहे हैं, लेकिन इतने गंभीर मामले में न्याय क्यों नहीं मिला, इसका जवाब नहीं दिया गया. उस समय सभी नेता हैदराबाद चले गए थे, जबकि उन्हें दंगे रोकने के लिए रुकना चाहिए था.” गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि हत्यारों का संबंध बीजेपी से था, लेकिन इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
गहलोत ने कहा कि आज भारत में संविधान को खतरा है और सभी संस्थाएं दबाव में काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि ED, IT और CBI पहले से ही दबाव में काम कर रहे हैं और अब चुनाव आयोग पर भी सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सभी संस्थाओं की क्रेडिबिलिटी बनी रहे. अगर संवैधानिक प्रक्रिया अपनाई जाती तो यह नौबत नहीं आती. चार-छह दिन में नया कानून बन जाता है, CJI को हटाकर अगर अमित शाह को बैठा दिया जाए तो लोग क्या सोचेंगे?”
अशोक गहलोत ने कहा कि अगर एक आम आदमी भी आरोप लगाता है तो चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि वह उस पर जवाब दे. लेकिन नेता प्रतिपक्ष से शपथ पत्र मांगना गलत है. उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग को खुद शपथ पत्र देना चाहिए कि वह निष्पक्ष है. हमने आरोप लगाया है तो स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, सच बताना चाहिए, लेकिन जवाब देने के बजाय कहा जा रहा है कि शपथ पत्र पेश करो.”
गहलोत ने कहा कि राजस्थान समेत चार राज्यों की चुनाव आयोग की वेबसाइट नहीं खुल रही है. हो सकता है वे सुधार कर रहे हों, लेकिन इससे सवाल उठते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एक व्यक्ति के कई जगह नाम दर्ज होना भी संदेह पैदा करता है.
गहलोत ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस से ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि ये भारत छोड़ो आंदोलन में ही शामिल नहीं थे. उन्होंने कहा कि बीजेपी हमेशा हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करती है, जबकि भारत में सभी धर्मों और भाषाओं के लोग बराबरी से रहते हैं. उन्होंने कहा, “अमेरिका और यूके को ब्लैक लोगों और महिलाओं को मतदान का अधिकार देने में 100-150 साल लगे, लेकिन भारत में सभी को एक साथ बराबरी का अधिकार मिला.”
अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी दुर्भावना नहीं रखते, लेकिन देशहित में सच्ची और कड़वी बात बोलते हैं. इसी कारण उन्होंने अपनी प्रेसवार्ता का नाम “एटम बम” रखा. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर एक टीम है जो पीएम मोदी और अमित शाह पर सवाल उठाने वालों पर हमला करती है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने छह महीने की विस्तृत जांच के बाद अपनी बात रखी, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई सहयोग नहीं किया.
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