
बेंगलुरु। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (Mysore Urban Development Authority-MUDA) मामले को लेकर कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भूमि आवंटन को लेकर शिकायत करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता ने अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग की है। इसे लेकर उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। स्नेहामयी कृष्णा (Affectionate Krishna) ने इसे पहले भी कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी। उन्होंने मामले को राज्य के लोकायुक्त से सीबीआई को सौंपने की मांग रखी थी। हालांकि, मुख्यमंत्री को एक बड़ी राहत तब मिली जब अदालत ने 7 फरवरी को यह याचिका खारिज कर दी। कोर्ट की ओर से कहा गया कि लोकायुक्त से पक्षपातपूर्ण या लापरवाही से जांच किए जाने का कोई सबूत नहीं है।
कृष्णा ने अब हाई कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है और मामले को आगे बढ़ा दिया है। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को दोहराया है। इसके अलावा, एक रिविजन याचिका भी दायर की गई है। इसमें संदिग्ध 14 प्लॉट्स के बारे में रिपोर्ट के निष्कर्षों पर सवाल उठाने और उन्हें चुनौती देने का अधिकार सुरक्षित रखा गया है। अब नजरें एक बार फिर से हाई कोर्ट पर टिक गई हैं। यह देखने वाली बात होगी कि इस बार कर्नाटक के सीएम को राहत मिलती है या नहीं। राज्य में विपक्षी दल भाजपा लगातार इस मामले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधती रही है।
लोकायुक्त से मिल चुकी है क्लीन चिट
कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने बीते महीने MUDA भूखंड आवंटन मामले में अदालत को 11,000 पन्नों की अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी। यह घटनाक्रम सीएम सिद्धारमैया को लोकायुक्त पुलिस की ओर से दी गई क्लीन चिट के सार्वजनिक होने के एक दिन बाद हुआ। सिद्धारमैया पर एमयूडीए के जरिए अपनी पत्नी पार्वती बीएम को 14 भूखंड आवंटित करने में अनियमितताओं के आरोप हैं। सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, साले बीएम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू और अन्य को प्राथमिकी में नामजद किया गया था। दरअसल, देवराजू से स्वामी ने एक जमीन खरीदी थी और इसे पार्वती को उपहार में दिया था।
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