
नई दिल्ली । कर्नाटक मंत्रिमंडल(Karnataka Cabinet) ने गुरुवार को हुई अपनी बैठक में विभिन्न कार्यकर्ताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं(Political activists) और आम जनता(General public) के खिलाफ दर्ज 60 मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया। इनमें से 11 मामले सितंबर 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा डी.के. शिवकुमार की गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों से संबंधित हैं। इन मामलों को रामनगर (अब बेंगलुरु दक्षिण) जिले के कनकपुरा, सथनूर और कोडिहल्ली पुलिस स्टेशनों में दर्ज किया गया था।
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन विरोध प्रदर्शनों में कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के कार्यकर्ता शामिल थे, क्योंकि उस समय दोनों दल गठबंधन में थे। प्रदर्शनकारियों पर बिना अनुमति प्रदर्शन करने, निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और कर्नाटक राज्य परिवहन निगम (केएसटीसी) की बसों पर पथराव करने जैसे आरोप लगाए गए थे। इन मामलों को कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर और विधानसभा में सरकार के मुख्य व्हिप अशोक पट्टन द्वारा दायर याचिकाओं के आधार पर वापस लिया गया।
डी.के. सुरेश के समर्थकों से जुड़ा मामला भी वापस
एक अन्य मामले में डी.के. शिवकुमार के भाई डी.के. सुरेश के समर्थकों को 2012 में एक घटना के दौरान सरकारी अधिकारियों को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के लिए बुक किया गया था। यह घटना जनवरी 2012 में हुई थी, जब सुरेश के समर्थकों को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और केम्पेगौड़ा की मूर्तियों पर पुष्पांजलि अर्पित करने की अनुमति नहीं दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने सुरेश के पांच समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसे शिवकुमार की याचिका के आधार पर वापस लिया गया।
शिकारीपुरा में 2023 के विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामले
मंत्रिमंडल ने शिमोगा जिले के शिकारीपुरा में 2023 में अनुसूचित जाति के लिए आंतरिक आरक्षण की घोषणा के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों से संबंधित चार मामलों को भी वापस लिया। इन प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पथराव और अधिकारियों पर हमला करने का आरोप था, क्योंकि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के आवास को घेरने की कोशिश की थी।
पूर्व गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र की याचिका पर मामले वापस
पूर्व गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र की याचिका के आधार पर भी कुछ मामले वापस लिए गए। इनमें से तीन मामले हावेरी जिले के रानेबेन्नूर पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए थे। पहला मामला गणेश चतुर्थी जुलूस के दौरान ध्वनि प्रणाली के उपयोग से संबंधित सरकारी आदेश के उल्लंघन से जुड़ा था। पुलिस कर्मियों ने इसका विरोध किया था, क्योंकि जुलूस 12 अगस्त 2018 को तड़के 3 बजे तक चला था। दूसरा मामला शहर में राम लड़ाई के आयोजन से संबंधित था, और तीसरा 2019 में गणेश चतुर्थी जुलूस के दौरान उल्लंघन से जुड़ा था। ज्ञानेंद्र की सिफारिश पर 2017 में उसी त्योहार के दौरान उल्लंघन से संबंधित एक और मामला और 2023 में कनकपुरा पुलिस स्टेशन में दो समूहों के बीच झड़प से संबंधित पांचवां मामला भी वापस लिया गया।
कलबुरगी में पथराव का मामला
आईटी/बीटी मंत्री प्रियंक खड़गे की याचिका के आधार पर कलबुरगी जिले के चित्तापुर पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामला भी वापस लिया गया। यह मामला अगस्त 2019 में एक समुदाय के सदस्यों द्वारा पशुओं को ले जा रहे वाहन को जब्त करने के पुलिस के कदम का विरोध करने से संबंधित था। इस पथराव की घटना में 33 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। मंत्रिमंडल ने तमिलनाडु को कावेरी जल छोड़ने और महादायी परियोजना के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज कुछ मामलों को भी वापस लिया।
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