
नई दिल्ली । भारत की “ऑपरेशन सिंदूर”(Operation Sindoor) के तहत वैश्विक कूटनीतिक(Global diplomacy) पहल के बीच केरल सरकार(Kerala Government) द्वारा 2023 में भूकंप प्रभावित तुर्की को दिए गए ₹10 करोड़ के वित्तीय सहायता पर राजनीतिक विवाद(Political controversies) खड़ा हो गया है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने इसे गलत प्राथमिकता वाली उदारता करार दिया, वहीं सीपीआई(एम) सांसद जॉन ब्रिटास ने उन्हें चुनिंदा स्मृति का शिकार बताया। दोनों नेता फिलहाल “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत भेजे गए बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा हैं, जिनका उद्देश्य पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन दिलाना है।
थरूर अमेरिका, पनामा, गयाना, ब्राजील और कोलंबिया की यात्रा पर गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान द्वारा तुर्की-निर्मित ड्रोन के इस्तेमाल की रिपोर्टों के संदर्भ में कहा, “उम्मीद है कि केरल सरकार अब दो साल बाद तुर्की के व्यवहार को देखकर अपनी गलत उदारता पर विचार करेगी। खासकर जब वायनाड जैसे जिलों को उस 10 करोड़ की जरूरत थी।” गौरतलब है कि जुलाई 2024 में वायनाड में भूस्खलनों से करीब 300 लोगों की मौत हुई थी और तीन गांव लगभग पूरी तरह तबाह हो गए थे। थरूर का इशारा इसी संदर्भ में था।
सीपीआई(एम) का पलटवार
राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास भी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य हैं जो जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया की यात्रा पर गया है। उन्होंने थरूर के बयानों को केरल विरोधी बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “शशि थरूर के लिए मेरे मन में सम्मान है, लेकिन यह टिप्पणी एकतरफा याददाश्त का लक्षण है। क्या उन्हें नहीं पता कि केंद्र सरकार ने खुद 2023 में ऑपरेशन दोस्त के तहत तुर्की को मदद भेजी थी?” आपको बता दें कि ऑपरेशन दोस्त भारत सरकार की वह पहल थी, जिसके तहत भूकंप के बाद तुर्की और सीरिया को राहत सामग्री और एनडीआरएफ की टीमें भेजी गई थीं।
केरल सरकार का बचाव
राज्य के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने थरूर की आलोचना को अनुचित बताया। उन्होंने कहा, “2023 में जब तुर्की में भयानक आपदा आई, तब हमने मानवीय दृष्टिकोण अपनाया। यह सहायता विदेश मंत्रालय के माध्यम से दी गई थी। अब दो साल बाद उस मानवीय मदद को 2025 के सीमा संघर्ष से जोड़ना उचित नहीं है।”
वायनाड में भूस्खलन के बाद केरल सरकार ने केंद्र से ₹2,000 करोड़ की विशेष सहायता मांगी थी। लेकिन राज्य सरकार का आरोप है कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कोई विशेष पैकेज नहीं दिया। इस मुद्दे को लेकर सीपीआई(एम) वायनाड जिले में मार्च निकाल रही है और केंद्र पर उपेक्षा का आरोप लगा रही है।
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