
चेन्नई। केरल (Kerala) के पंचायत, ब्लॉक और जिला निकाय चुनावों के नतीजे आ गए हैं, और ये सीपीएम की अगुवाई वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (Left Democratic Front- LDF) के लिए बड़ा झटका साबित हुए हैं. इस निकाय चुनाव में कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (Congress-led United Democratic Front- UDF) ने शानदार प्रदर्शन किया, जबकि BJP ने कई जगहों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. लेकिन सबसे बड़ा प्रतीकात्मक झटका वह वार्ड है, जहां सीपीएम के पूर्व मंत्री और सबरीमाला स्वर्ण चोरी कांड (Sabarimala gold theft case) के आरोपी ए पद्मकुमार का घर है. वहां BJP ने जीत हासिल की।
यह नतीजा सिर्फ एक सीट की जीत नहीं, बल्कि सबरीमाला के सोने से जुड़े उस घोटाले का बदला लगता है, जिसने एलडीएफ सरकार की छवि को बुरी तरह धूमिल किया है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह 2026 के विधानसभा चुनाव का ट्रेलर है, जहां लेफ्ट का आखिरी किला ढह सकता है?
निकाय चुनाव में क्या रहा नतीजा?
केरल में ग्राम पंचायतों की कुल 941 सीटों में यूडीएफ ने 505, एलडीएफ ने 340, एनडीएफ ने 26, अन्य ने 6 और 64 जगहों पर टाई रही. ब्लॉक पंचायतों में कुल 152 सीटों पर यूडीएफ ने 79, एलडीएफ ने 63 और 10 जगहों पर मुकाबला टाई रहा. वहीं जिला पंचायतों में कुल 14 सीटों पर यूडीएफ और एलडीएफ ने 7-7 सीटें जीतीं. राज्य की कुल 87 नगरपालिकाओं में यूडीएफ ने 54, एलडीएफ ने 28, एनडीए ने 2, अन्य ने 1 और 1 जगह लड़ाई टाई रही. नगर निगमों की बात करें तो यहां कुल 6 जगहों में यूडीएफ ने 4, एलडीएफ ने 1 और एनडीए ने 1 सीट जीती. एनडीए को राजधानी त्रिरुवनंपुरम में जीत मिली है, जो उसके लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
इसमें एक और सबसे चर्चित नतीजा पठानमथिट्टा जिले के एक वार्ड से आया, जहां सबरीमाला स्वर्ण चोरी कांड के मुख्य आरोपी, सीपीएम नेता और पूर्व देवस्वोम मंत्री ए पद्मकुमार का घर है. वहां बीजेपी उम्मीदवार ने सीपीएम को हराकर जीत दर्ज की. पद्मकुमार अभी जेल में हैं, और उनके वार्ड में यह हार एलडीएफ के लिए शर्मनाक मानी जा रही है.
सबरीमाला स्वर्ण चोरी कांड केरल की राजनीति का सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है. 2024 में सबरीमाला देवस्वोम बोर्ड से 300 किलो से ज्यादा सोना गायब होने का मामला सामने आया. जांच में पता चला कि सोना चोरी कर बेचा गया और इसमें देवस्वोम बोर्ड के अधिकारी और सीपीएम से जुड़े लोग शामिल थे. इस केस में मुख्य आरोपी ए पद्मकुमार थे, जो पिनराई विजयन सरकार में देवस्वोम मंत्री रह चुके थे।
सीपीएम नेताओं पर क्या आरोप?
पद्मकुमार पर आरोप है कि उन्होंने बोर्ड के जरिये सोने की खरीद-बिक्री में करोड़ों का घोटाला किया. सीबीआई जांच में कई सीपीएम नेता फंसते दिख रहे हैं. पद्मकुमार को गिरफ्तार किया गया, और वे अभी जेल में हैं. यह कांड एलडीएफ सरकार के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि सबरीमाला केरल की आस्था का केंद्र है. हिंदू वोटरों में गुस्सा भड़क उठा.
बीजेपी ने निकाय चुनाव में इस मुद्दे को भी जोरशोर से उछाला और निकाय चुनावों में यह गुस्सा साफ दिखा. सबरीमाला से सटे पठानमथिट्टा और त्रिशूर में बीजेपी ने कई वार्ड जीते. पद्मकुमार के वार्ड में बीजेपी की जीत प्रतीकात्मक है. एक स्थानीय वोटर ने कहा, ‘सबरीमाला का सोना चोरी करने वालों को सबक सिखाना था. हमने बीजेपी को वोट दिया.’ सीपीएम ने इसे ‘धार्मिक भावनाओं का शोषण’ करार दिया, लेकिन हकीकत यह है कि घोटाले ने एलडीएफ की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है. यूडीएफ ने भी इस मुद्दे पर हमला बोला था.
वाम के खराब प्रदर्शन की वजह क्या?
इन निकाय चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करें तो एलडीएफ को बड़ा नुकसान हुआ है. 2020 के निकाय चुनावों में एलडीएफ ने जहां 10 जिला पंचायतों में बहुमत हासिल किया था, वहीं अब सिर्फ 4 बचा है. ग्राम पंचायतों में भी सीटें गिरीं. यूडीएफ ने 7 जिला पंचायतें जीतीं, और बीजेपी ने तिरवनंतपुरम में पहली बार बहुमत हासिल किया. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि सबरीमाला घोटाला और महंगाई जैसे मुद्दों ने एलडीएफ को नुकसान पहुंचाया. BJP का हिंदू वोटों में मजबूत प्रदर्शन सबरीमाला मुद्दे से जुड़ा है.
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को कहा कि ‘स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे वैसे नहीं थे जैसा एलडीएफ ने उम्मीद की थी. जबकि पूरे राज्य में जिस मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद थी, एलडीएफ उस स्तर की प्रगति हासिल नहीं कर पाया. इस नतीजे के पीछे के कारणों की विस्तार से जांच की जाएगी, और फ्रंट आगे बढ़ते हुए आवश्यक सुधार करेगा.’ लेकिन पार्टी के अंदर हलचल है. कई नेता मानते हैं कि इस हार के पीछे सबरीमाला घोटाला बड़ा कारण है. पद्मकुमार जैसे नेताओं की गिरफ्तारी ने सीपीएम की छवि को धक्का पहुंचाया.
एलडीएफ की क्यों बढ़ी टेंशन?
केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले इन निकाय चुनावों को सत्ता का सेमिफाइनल कहा जा रहा था. ऐसे में ये नतीजे सत्ताधारी वाम गठबंधन के लिए चेतावनी है. केरल लेफ्ट का आखिरी मजबूत किला रहा है. पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में सालों से चली आ रही सत्ता से हाथ धोने के बाद केवल केरल में उसकी सरकार बची है. ऐसे में निकाय चुनाव के ये नतीजे उसकी टेंशन बढ़ाने वाले हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2026 में लेफ्ट का आखिरी किला ढह जाएगा? निकाय नतीजे यही संकेत दे रहे हैं. सबरीमाला का सोना LDF को ले डूबा लगता है.
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