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राजधानी में खाकी फिर हुई दागदार

March 26, 2022

  • अस्पताल में मासूम की संदिग्ध हालातों में मौत, पिता से बोले पुलिसकर्मी ले दे के खत्म कर दो मामला

भोपाल। राजधानी के एक प्रायवेट अस्पताल में पांच महीने की मासूम की संदिग्ध हालातों में मौत के बाद पुलिस द्वारा अस्पताल प्रबंधन के कहने पर पीडि़त परिवार पर दबाव बनाने और मौत की सौदेबाजी कराने का गंभीर मामला सामने आया है। दरअसल विदिशा के रहने वाले एक गरीब परिवार की पांच महीने की मासूम को पेट में तकलीफ थी। उसे भोपाल के शाहजहांनाबाद थाना क्षेत्र स्थित तीन मोहरों के पास बने बालाजी अस्पताल में गुरुवार को भर्ती कराया गया। अस्पताल में मासूम का कब ऑपरेशन हुआ, कब बच्ची की मौत हुई परिजनों को सूचना तक नहीं दी गई।



गुरुवार की रात करीब साढ़े दस बजे अस्पताल में पहले पुलिस बुलाई गई और बाद में मौत की सूचना दी गई। मृतका के पिता का आरोप है कि दो पुलिसवालों ने कर्रावाई न कराने और विरोध न करने को लेकर धमकाया। इसके बाद पैसा ले दे के मामले को रफ ादफ ा करने की पेशकश की गई। विदिशा निवासी बलराम किरार ने बताया कि वह मजदूरी करते हैं। उनकी पांच महीने की बच्ची को पेट में तकलीफ थी। किसी की सलाह पर वह बालाजी अस्पताल तीन मोहरों के पास में बच्ची को लेकर आए थे। गुरुवार की दोपहर में अस्पताल वालों ने इलाज के लिए मोटी रकम की मांग की तो पिता ने उपचार कराने से इनकार कर दिया। किरार से पूछा गया कि आयुष्मान कार्ड है कि नहीं, पिता ने हां में जवाब दिया तो बच्ची को भर्ती कर लिया गया। इसके बाद में उन्हें कुछ नहीं बताया गया। किसी दस्तावेज पर भी उनसे साइन अथ्वा अंगूठा नहीं लगवाया गया। बिना उनकी अनुमति के ऑपरेशन किया गया और सीधे बच्ची की मौत की सूचना दी गई। जबकि बच्ची को जब लाया गया तो वह ठीक थी और उसे दूध पीने में भी किसी तरह की तकलीफ नहीं थी। इसके बाद भी उसके नाक में पाइप डाल दिया गया। किरार का अरोप है कि बच्ची की मौत पहले ही हो चुकी थी। अस्पताल वालों को गलती का एहसास था। इसी कारण उन्होंने पहले पुलिस को बुलाया और बाद में मौत की सूचना दी गई। अस्पताल में पहले डायल 100 में सवार होकर तीन पुलिसवाले आए थे। बाद में दो तीन पुलिस वाले अलग आए। मौत की सूचना भी खुद पुलिसवालों ने उन्हें दी।

किरार बोले देखते ही पहचान लूंगा पुलिसवालों को
किरार का कहना है कि वह पुलिसकर्मियों को नहीं जानते, सामने आने पर पहचान जाएंगे। एक पुलिसकर्मी उन्हें अपना नंबर भी देकर गया है, जिसने उन्हें पैसों की पेशकश की थी। उन्हें साइड में ले जाने वाले एक पुलिसकर्मी के एक स्टार था, साथी पुलिसवाले द्वारा उन्हें कुमार साहब कहते उन्होंने सुना था।

पहले धमकाया, फिर बोले ले दे के खत्म करो मामला
जब किरार ने विरोध किया तो दो पुलिसवाले उन्हें साइड में ले गए। पहले उन्हें धमकाया गया। किरार कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे तो उनसे कहा गया कि अस्पताल का कुछ होना नहीं है, ले दे के मामले को खत्म कर दो। इसके बाद भी किरार नहीं माने और शाहजहांनाबाद थाना पुलिस को जीरो पर मर्ग कायम करना पड़ा। बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के बाद में परिजनों के हवाले किया गया। जिसके बाद में विदिशा में शुक्रवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया है।

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