
नई दिल्ली । केंद्र सरकार (Central government) द्वारा संसद (Parliament) में लाए गए निर्वाचित मंत्रियों को हटाने के एक विधेयक (Bill) का जमकर विरोध किया जा रहा है। इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू (Parliamentary Affairs Minister Kiren Rijiju) ने बताया कि पहले इस विधेयक से प्रधानमंत्री (Prime Minister) के पद को छूट देने की बात रखी गई थी। लेकिन जब यह बात पीएम मोदी के सामने रखी गई, तो उन्होंने किसी भी तरह की छूट से इनकार कर दिया। गौरतलब है कि अगर यह विधेयक पास होकर कानून बन जाता है, तो 30 दिनों तक गंभीर अपराध के तहत जेल में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाना अनिवार्य होगा।
रिजिजू ने पूरे घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि इस बिल पर जब कैबिनेट में चर्चा हुई तो यह सुझाव दिया गया कि प्रधानमंत्री को इस बिल से बाहर रखा जाना चाहिए, लेकिन वहां मौजूद पीएम मोदी ने तुरंत ही इससे इनकार कर दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री ने कैबिनेट से कहा कि इस बिल में प्रधानमंत्री को छूट देने का सुझाव दिया गया है, लेकिन वह इससे सहमत नहीं हैं। प्रधानमंत्री भी एक नागरिक है और उन्हें भी विशेष सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “ज्यादातर मुख्यमंत्री हमारी पार्टी के लोग हैं। अगर हमारे लोग गलती करते हैं, तो उन्हें अपने पद छोड़ने होंगे। नैतिकता का भी कुछ मतलब होना चाहिए। विपक्ष ने अगर नैतिकता को केंद्र में रखा होता तो इस विधेयक का स्वागत किया गया होता।”
आपको बता दें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए थे । इनमें से संविधान (130 संशोधन) विधेयक, 2025 भी शामिल था। इस विधेयक के मुताबिक अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों जैसे पद पर बैठा व्यक्ति गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें स्वतः पद से हटा दिया जाएगा। इस बिल को पेश करने के दौरान विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया। एक सांसद ने तो बिल की कॉपी फाड़कर केंद्रीय गृहमंत्री के ऊपर तक फेंकने की कोशिश की। इसके बाद इस विधेयक को भी केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 के साथ संसदीय समिति के पास भेज दिया है।
अब एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाएगा। इसमें कुल मिलाकर 31 सांसद होंगे। इनमें 21 सांसद लोकसभा के और 10 सांसद राज्यसभा से होंगे। इस समिति को शीतकालीन सत्र तक अपनी रिपोर्ट देनी होगी।
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