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साफ पानी की कमी, केमिकल पेस्टिसाइड्स, तंबाकू का सेवन और गिरता साक्षरता का स्तर कैंसर का कारण-डॉ. शैलेष श्रीखंडे

September 09, 2025

  • आने वाले 20 वर्षों में कैंसर का बोझ देश पर और बढ़ेगा

इंदौर। भारत में कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। इसके पीछे कई कारण हैं -शहरीकरण की तेज़ रफ़्तार, जीवनशैली में बदलाव, प्रदूषण, अस्वास्थ्यकर खान-पान, तंबाकू व अल्कोहल का सेवन। साथ ही बेहतर डायग्नोस्टिक सुविधाओं और बढ़ती जागरूकता के कारण कैंसर का अधिक डिटेक्शन भी हो रहा है। आने वाले 20 वर्षों में कैंसर का बोझ और बढ़ेगा, यह तथ्य सभी डेटा से स्पष्ट है।

यह कहना है मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. शैलेष श्रीखंडे का। द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ़ इंडिया इंदौर चैप्टर द्वारा इंदौर में डॉ. बी.बी. ओहरी मेमोरियल मिडटर्म कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। समिति अध्यक्ष डॉ. मनीष खासगीवाला ने कहा न्यूरो एंडोक्राइनल ट्यूमर्स का समय पर डायग्नोज करना और सही समय पर सर्जरी कर इलाज करना एक चुनौती है।


आज इसी विषय पर एक्सपट्र्स अपने विचार रखेंगे। सर्जरी में किताबी पढ़ाई के अलावा सतत् प्रयास करने से ही अच्छे परिणाम मिलते हैं। यही कारण है कि हम देश के नामी सर्जन को स्टूडेंट और डॉक्टर से मिलवा रहे हैं, जिससे वह अपनी सर्जरी में उनके सालों के अनुभवों को साझा कर सकें। हास्पिटल के सचिव डॉ निकुंज जैन ने बताया कॉन्फ्रेंस में शहर में प्रदेश के 70 से ज्यादा स्टूडेंट्स और सर्जन ने हिस्सा लिया। इस मौके पर डॉ. श्रीखंडे के साथ ही दिल्ली से आए लिवर सर्जन एक्सपर्ट डॉ. शालीन अग्रवाल ने चेताया कि भारत में डायबिटीज, मोटापा और अल्कोहल कंजम्प्शन बढऩे से लिवर बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। अपने 20 वर्षों के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांट से मरीजों को बेहतर परिणाम मिल रहे हैं।

पेस्टिसाइड्स और केमिकल्स कैंसर का बड़ा कारण
डॉ.श्रीखंडे ने कहा मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी ने कैंसर के इलाज में बड़ी प्रगति की है, लेकिन एक बार कैंसर होने के बाद उसे पूरी तरह नियंत्रित करना आसान नहीं। शुरुआती अवस्था में पहचान और उपचार से कई प्रकार के कैंसर पूरी तरह ठीक किए जा सकते हैं। दूसरी-तीसरी स्टेज में भी आधुनिक सर्जरी, प्रिसीजन मेडिसिन, कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी से मरीजों को लंबा और गुणवत्तापूर्ण जीवन दिया जा सकता है। भारत में सबसे बड़ी चुनौतियाँ अफोर्डेबिलिटी, अवेलेबिलिटी और एक्सेस की हैं। कैंसर स्पेशलिस्ट और टेक्निकल स्टाफ की भारी कमी है। इसके साथ ही पेस्टिसाइड्स और केमिकल्स का अत्यधिक उपयोग भी कैंसर का बड़ा कारण है। सरकार और संस्थान हानिकारक रसायनों को बाजार से हटाने की दिशा में प्रयासरत हैं।

80 प्रतिशत लिवर ट्रांसप्लांट केस अल्कोहल या डायबिटीज-मोटापे के कारण
दिल्ली से आए सर्जन डॉ. शालीन अग्रवाल ने कहा कि लिवर कैंसर का प्रमुख कारण सिरोसिस है, जो प्राय: अल्कोहल सेवन, डायबिटीज, मोटापा और हेपेटाइटिस बी व सी से जुड़ा होता है। उन्होंने चेताया कि भारत में डायबिटीज, मोटापा और अल्कोहल कंजम्प्शन बढऩे से लिवर की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। अपने 20 वर्षों के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांट से मरीजों को बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनके 80 प्रतिशत लिवर ट्रांसप्लांट केस अल्कोहल या डायबिटीज-मोटापे से क्षतिग्रस्त लिवर वाले मरीजों के होते हैं। सही जीवनशैली सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।

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