
इंदौर। कलेक्टर कार्यालय (Collectorate Office) में फर्जी अधिकारी (Fake officials) बन एक शख्स महीनों घूमता रहा और सैकड़ों लोगों को राजस्व निरीक्षक (Revenue Inspector) बन ठगता रहा, जिसकी भनक कलेक्टर (Collector) से लेकर उच्च अधिकारियों तक को नहीं लगी। दर्जनभर से ज्यादा छात्रों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों को ठगी का शिकार बनाकर शहर से भाग गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि फर्जी आईडी बनाकर वह विभागों में काम करवाता रहा, लेकिन आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, समग्र आईडी, मूल निवासी जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बनाने वालों को भी कानोकान खबर नहीं हुई कि वह जिस व्यक्ति का काम अधिकारी समझकर कर रहे हैं, वह एक ठग है।
जॉइनिंग करने के लिए मांगी मदद
छात्र नीरज कलोता ने बताया कि उक्त व्यक्ति उसके घर के पास ही रहता था और खुद को अधिकारी बताता था, इसलिए वह उसकी बातों में आ गया। कभी मां के बीमार होने की बात तो हाल ही में तहसीलदार पद पर प्रमोट होने के नाम पर वह नीरज से लाखों रुपए ले चुका था। इसी तरह दो अन्य छात्राओं ने बताया कि उनसे भी उक्त फर्जी अधिकारी ने हजारो रुपए लिए हैं। मोबाइल और अन्य लग्जरी सामान भी हमारे नाम से खरीदा और पैसे नहीं दिए। बालिका से 50 हजार के लगभग राशि ले ली और लौटाने के बजाय फोन बंद कर इंदौर से गायब हो गया। एक दर्जन से ज्यादा लोगों के साथ धोखाधड़ी करते हुए लगभग 5 लाख की धोखाधड़ी की गई है। कलेक्टर से शिकायत करते हुए आवेदकों ने बताया कि यह राशि उन्होंने अपने माता-पिता से बगैर बताए अपनी छात्रवृत्ति की राशि में से उसे दी थी।
चैक देकर कर रहा फर्जीवाड़ा
लुटे हुए प्रार्थियों ने बताया कि उक्त व्यक्ति आवेदकों के ही चैक अन्य लोगों को थमाकर धोखाधड़ी कर रहा था। दो छात्राओं के पिता की चैकबुक से कई चैक लोगों को दिए हैं। यह बात उसके पिता को भी नहीं पता है। यदि चैक लगाए गए तो पिता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी और पिता उसकी पढ़ाई भी छुड़वा देंगे। छात्रा ने नाम गुप्त रखते हुए कार्रवाई करने की अपील की है। उक्त मामले में लेनदारों के फोन आवेदकों के पास ही आ रहे हैं और वह उनसे ही पैसों की मांग कर रहे हैं। मामले की सुनवाई करते हुए अपर कलेक्टर मुख्यालय रोशन राय ने उक्त छात्र- छात्राओं की पीड़ा समझी। ऑनलाइन किए गए भुगतान तथा युवक के फोटो आदि को देखकर कार्रवाई के लिए क्राइम ब्रांच पुलिस को पत्र भेजा है।
कुछ छात्रों और युवाओं ने आकर फर्जीवाड़े की शिकायत कल जनसुनवाई के दौरान की है। सरकारी दस्तावेज बनाने के नाम पर सरकारी अधिकारी बनकर उनसे धोखाधड़ी किए जाना भी बताया है। लिखित में आवेदन दिया गया है, जिसे क्राइम ब्रांच को जांच के लिए भेजा गया है।
-रोशन राय, अपर कलेक्टर
कुछ छात्रों ने मल्हारगंज एसडीएम के हस्ताक्षर से फर्जी आईडी जारी होने की बात कही थी। जांच की जा रही है कि फर्जी आईडी पर किसके हस्ताक्षर हैं। आईडी अभी सामने नहीं आई है । जांच की जा रही है।
-निधि वर्मा , एसडीएम मल्हारगंज
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