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इन्दौर में 104 एकड़ पर इकोनॉमी कॉरिडोर के लिए जमीन मालिकों की सहमति

October 18, 2025

एमपीआईडीसी लगातार कर रहा है चर्चा, 60 फीसदी तक भूखंड के अलावा शासन की क्रय नीति से नकद मुआवजा भी ले सकेंगे

इंदौर। 20 किलोमीटर लम्बे इंदौर-पीथमपुर (Indore-Pithampur) इकोनॉमिक कॉरिडोर (Economic Corridor) के लिए भू-अर्जन की प्रक्रिया एमपीआईडीसी (MPIDC) द्वारा की जा रही है। लगभग 3300 एकड़ जमीन इस कॉरिडोर में ली जाना है और पिछले दिनों किसानों ने तमाम प्रोजेक्टों का विरोध भी किया। हालांकि कॉरिडोर के लिए 104 एकड़ पर जमीन मालिकों की सहमति हासिल हो गई है। इसमें जमीन मालिकों को दो तरह के विकल्प दिए गए हैं। पहले विकल्प में 60 फीसदी प्लानिंग के बाद मिलने वाले भूखंड लिए जा सकेंगे, तो दूसरे विकल्प में नकद मुआवजा राशि हासिल करने का भी प्रावधान रखा गया है। अभी ऐसे 42 जमीन मालिकों की सूची भी जारी की गई है जिन्होंने अपनी सहमति दी है। अब अगर इन जमीनों को लेकर किसी को कोई आपत्ति हो तो वह 7 दिनों में उसे एमपीआईडीसी के क्षेत्रीय कार्यालय में दर्ज करवा सकता है।


पूर्व में स्वीकृत किए गए ड्रॉफ्ट पर दावे-आपत्ति की प्रक्रिया हुई, जिसकी सुनवाई भी कर ली गई। उल्लेखनीय है कि एमपीआईडीसी द्वारा जो इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाया जा रहा है उसमें इंदौर और धार जिले के गांवों की जमीनें शामिल है। कोर्डियाबर्डी, डेहरी, सोनवाय, भैंसलाय, बागोदा, टीही, धन्नड़, रिजलाय, बिसनावदा, नावदापंथ, श्रीराम सलावली, शिवखेड़ा, ग्राम नरलाय और ग्राम मोकलाय के खसरा नम्बरों का प्रकाशन भी किया गया था और लैंड पुलिंग के तहत दावे-आपत्तियां आमंत्रित की गई। मुख्यमंत्री के निर्देश पर 60 फीसदी तक लाभ जमीन मालिकों को देने का विकल्प भी तैयार किया गया। जिस तरह प्राधिकरण विकसित भूखंड देता रहा है उसी तरह इस कॉरिडोर में भी विकसित भूखंड दिए जाएंगे, जो कि लगभग 36 फीसदी तक जमीन मालिकों को हासिल होंगे। यानी उनकी जमीन अगर 1 एकड़ है, तो उसका 36 फीसदी हिस्सा विकसित भूखंड के रूप में मिल सकता है। वहीं नकद मुआवजे का प्रावधान भी किया गया है और पिछले दिनों गाइडलाइन भी बढ़ गई, जिसके आधार पर दो गुना नकद मुआवजा भी दिया जा सकता है। अभी जिन 42 जमीन मालिकों ने अपनी सहमति शासन की क्रय नीति के तहत दी है और इसके अलावा आबंटन योग्य क्षेत्रफल का 60 फीसदी भूखंड हासिल करने की सहमति भी मिली है। लिहाजा अब इन 42 जमीन मालिकों की जो जमीन कॉरिडोर के लिए ली जाएगी उनके खसरा नम्बरों, ग्राम का प्रकाश न करवाया गया है, ताकि कोई व्यक्ति, संस्था, बैंक या अगर किसी तरह का विवाद इन जमीनों के संबंध में हो तो संबंधित पक्ष दावे-आपत्ति 7 दिन में प्रस्तुत कर सकता है। एमपीआईडीसी के खंडवा रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय अतुल्य आईटी पार्क में पहली मंजिल में दफ्तर है, वहां पर यह आपत्ति मय दस्तावेजों के प्रस्तुत की जा सकती है। एमपीआईडीसी के हिमांशु प्रजापति के मुताबिक, इन 42 जमीन मालिकों की 42.188 हेक्टेयर यानी लगभग 104 एकड़ जमीन की सहमति मिली है। आपसी सहमति से भूमि समर्पित करने के बाद अब उस पर दावे-आपत्ति की प्रक्रिया विभाग ने शुरू भी की है।

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