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आईडीए, एलआईसी जैसे बड़े विभागों से ही करोड़ों की लेनदारी निकली

February 11, 2025

  • अब राजस्व वसूली महाअभियान चलाया जायगा…बड़े बकायादारों की सूची हो रही तैयार, तहसीलवार सरकारी विभागों को भी किया जा रहा शामिल

इन्दौर। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पूर्व जिले के बड़े बकायादारों को नोटिस थमाए जा रहे हैं। इस सूची में सरकारी विभागों पर बड़ी-बड़ी राशि बकाया होने की जानकारी सामने आ रही है। आईडीए सहित एलआईसी पर भी करोड़ों की लेनदारी निकाली गई है। लगभग दोनों ही विभागों से 1 ही तहसील को 10 करोड़ से ज्यादा की वसूली करनी है। 7 दिन का समय देकर नोटिस पहुंचाए जा रहे हैं।

राजस्व वसूली के लिए मार्च का महीना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। मार्च से पहले वित्तीय वर्ष की वसूली का आंकड़ा शत प्रतिशत करने के लिए हर बार जिला प्रशासन मुहिम चलाकर वसूली करता है। कलेक्टर ने सभी क्षेत्र के तहसीलदारों को निर्देश दिए कि डायवर्शन की बकाया राशि वसूलने के लिए विशेष अभियान शुरू कर दें। निर्देश के बाद प्रत्येक तहसील के अंतर्गत विकसित की गई वैध कॉलोनी की जानकारी जुटाकर उक्त भूमियों पर बकाया डायवर्शन शुल्क वसूली के लिए राजस्व निरीक्षक और पटवारी सूची तैयार कर रहे हैं।


साथ ही नगर निगम कॉलोनी सेल को पत्र लिखकर भी विकसित हुई कॉलोनी की जानकारी एकत्रित करना शुरू कर दिया है। इसी दौरान मल्हारगंज क्षेत्र में ही सोफिया मिल को 57 लाख रुपए का नोटिस थमाया गया है। वहीं विभागीय सूत्रों के अनुसार एलआईसी से 17 लाख व आईडीए से 10 करोड़ का बकाया निकला है। आज तीनों ही बकायादारों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं।

पहले बड़े बकायादारों को नोटिस जारी
प्रत्येक तहसील में सबसे पहले बड़े बकायदारों की सूची तैयार कर नोटिस जारी किए जा रहे हैं। जिन कालोनियों और कंपनियों पर करोड़ और लाखों में बकाया निकल रहा है उन्हें पहले नोटिस थमाए जा रहे हैं। यदि सात दिवस में उक्त राशि जमा नहीं करते हैं तो उनके नाम सार्वजनिक करने के साथ ही कुर्की-वसूली की कार्रवाई भी आरंभ की जाएगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 के बाद आज तक जिले के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों और नगरी निकाय में कई कॉलोनियां विकसित हुई हैं, जिनमें कुछ वैध और कुछ अवैध कॉलोनी के नाम भी शामिल हैं। वैध कॉलोनी में अभी तक कई कॉलोनी पूर्ण रूप से विकसित नहीं हैं और न ही उन्होंने प्लाटों का विक्रय किया है।

इस तरह की कॉलोनियों के कर्ताधर्ताओं से बकाया डायवर्शन शुल्क जमा कराया जाएगा और जहां कॉलोनी विकसित हो गई है वहां से नामांतरण करवाने के साथ ही वसूली भी अभियान के दौरान कराई जाना है। कई जगह अवैध कॉलोनियां काटी जाकर डायरियों पर बिक्री की गई है। न तो डायवर्शन हुआ न ही नगर एवं ग्राम निवेश से नक्शे स्वीकृत कराए गए हैं और न ही कॉलोनी विकसित करने के लिए कोई अनुमति दी गई है। इस तरह की भूमियों पर भी परिवर्तन शुल्क बकाया है। उनसे यह राशि वसूली जाना है। यही नहीं, व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग की गई भूमियों से भी इस अभियान में वसूली की जाएगी।

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