
नई दिल्ली । पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (Former Chief Justice Ranjan Gogoi)ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को राष्ट्रीय एकीकरण (National integration)और सामाजिक न्याय की दिशा (direction of social justice)में ‘‘बेहद महत्वपूर्ण’’ कदम बताया तथा इसके क्रियान्वयन से पहले आम सहमति बनाने की जरूरत पर बात की। राज्यसभा सदस्य गोगोई ने रविवार को यहां ‘सूरत लिटफेस्ट 2025’ में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि बार-बार चुनाव होने से शासन प्रभावित होता है, प्रशासन और वित्त पर दबाव पड़ता है।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं समान नागरिक संहिता को एक बहुत ही प्रगतिशील कानून के रूप में देखता हूं जो विभिन्न पारंपरिक प्रथाओं की जगह लेगा जो कानून बन गए हैं।’’ गोगोई ने कहा कि इस बात पर कोई बहस नहीं है कि यह एक संवैधानिक लक्ष्य है और अनुच्छेद 44 में है।
गोगोई ने कहा कि अगर यूसीसी को लागू किया जाता है, तो इससे सभी नागरिकों के लिए एक ही तरह का व्यक्तिगत कानून होगा, चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो। यह विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और भरण-पोषण जैसे मामलों पर लागू होगा। भारत में समान नागरिक संहिता सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लगातार चुनावी घोषणापत्रों का एक प्रमुख एजेंडा रहा है।
उन्होंने एक सत्र के दौरान कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, और हमें एक बात पर स्पष्ट होना चाहिए- इसका धर्म के पालन से संबंधित अनुच्छेद 25 और 26 के साथ कोई टकराव नहीं है।’’ सत्र के दौरान गोगोई ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुडे़ ‘ऑर्गनाइजर’ के संपादक प्रफुल्ल केतकर के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। गोगोई ने कहा कि गोवा में यूसीसी शानदार तरीके से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ‘‘आम सहमति बनाने और गलत सूचनाओं को रोकने’’ की जरूरत है।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश के अनुसार यूसीसी का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी शाहबानो मामले से लेकर मुस्लिम महिलाओं के गुजारा भत्ता मांगने के अधिकार से संबंधित पांच मामलों में कहा कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता देश को एकजुट करने तथा सामाजिक न्याय को प्रभावित करने वाले नागरिक और व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले विभिन्न कानूनों के कारण लंबित मामलों से निपटने का एक तरीका है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं सरकार और सांसदों से अनुरोध करूंगा कि वे जल्दबाजी न करें। आम सहमति बनाएं। इस देश के लोगों को बताएं कि यूसीसी वास्तव में क्या है। जब आप आम सहमति बना लेंगे, तो लोग समझ जाएंगे। लोगों का एक वर्ग कभी नहीं समझेगा, वे न समझने का दिखावा करेंगे।’’‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव पर गोगोई ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके सहित 4-5 पूर्व प्रधान न्यायाधीशों की राय मांगी थी और उन्होंने इस विचार का समर्थन किया था।
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