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इस्राइल की मदद करने पर अमेरिकी सरकार के खिलाफ मुकदमा

December 18, 2024

रामल्लाह. गाजा (Gaza) के पांच फलस्तीनियों (Palestinians) ने मानावधिकारों (human rights holders) के हनन का आरोप लगाकर अमेरिकी सरकार (US Government) के विदेश विभाग (State Department) और वेस्ट बैंक के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। मुकदमे में कहा गया है कि इस्राइली सेना को लगातार दी जा रही अमेरिकी सहायता के चलते फलस्तीनियों के मानवाधिकारों का गंभीर रूप से उल्लंघन हुआ। मुकदमे में अमेरिकी विदेश विभाग पर संघीय कानून को लागू करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया गया। कानून के मुताबिक अगर किसी देश की सेना न्याय के बिना हत्या और अत्याचार जैसे उल्लंघन करती है तो उसे किसी भी तौर पर धन हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।

मुकदमे में कहा गया कि सात अक्तूबर को गाजा युद्ध शुरू होने के बाद से इस्राइल लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। इसके बाद भी लीही कानून को लागू करने में अमेरिका के विदेश विभाग की विफलता चौंकाने वाली है। गाजा की एक शिक्षिका अमल गाजा ने यह मुकदमा दर्ज कराया गया है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक मुकदमे में शिक्षिका ने कहा है कि उसे युद्ध शुरू होने के बाद से सात बार जबरन विस्थापित किया जा चुका है और उसके परिवार के 20 सदस्य इस्राइली हमलों में मारे जा चुके हैं।


गाजा शिक्षिका ने कहा कि अगर अमेरिका मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करने वाली इस्राइल की इकाइयों को सैन्य सहायता देना बंद कर दे, तो मेरी पीड़ा और मेरे परिवार को हुई क्षति काफी हद तक कम हो जाएगी। हमास ने बीते साल 7 अक्तूबर को इस्राइल पर बड़ा आतंकी हमला किया था, जिसमें 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था। अभी भी 100 लोग हमास की कैद में हैं। इस हमले के जवाब में इस्राइल ने गाजा पर हवाई और जमीनी हमला किया, जिसमें 45 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

क्या है लीही कानून
शिक्षिका ने लीही कानून के उल्लंघन से जुड़ा है। यह कानून एक तरह से संघीय विनियमन है। इसके तहत अगर कोई विदेशी सैन्य इकाई मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है तो अमेरिकी सरकार उसको धन मुहैया नहीं करा सकती है। अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक इन उल्लंघनों में यातना, न्यायेतर हत्याएं, जबरन गायब कर देना और दुष्कर्म शामिल है।

इस्राइल की लगातार मदद कर रहा अमेरिका
गाजा में लगातार हो रहे हमलों के बीच अमेरिका लगातार इस्राइल की आर्थिक मदद कर रहा है। वह इस्राइल को प्रतिवर्ष कम से कम 3.8 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान करता है। वहीं युद्ध की शुरुआत होने के बाद से बाइडन प्रशासन ने इस्राइल को अतिरिक्त 17.9 बिलियन डॉलर दिए हैं। इस्राइल की ओर से किए गए इतने गंभीर हैं कि अगर लीही कानून लागू किया गया तो इसकी सैन्य इकाइयां अमेरिकी सहायता के लिए अयोग्य मानी जाएंगी। अगर अमेरिका हथियार भेजना बंद कर दे तो इस्राइल के लिए सैन्य अभियान जारी रखना संभव नहीं होगा।

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