
नई दिल्ली. 1972 में म्यूनिख ओलंपिक (munich olympics) में कांस्य पदक (Bronze Medal) जीतने वाली भारतीय हॉकी (Indian Hockey) टीम के सदस्य और टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस (Leander Paes) के पिता वेस पेस (Vece Paes) का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वेस पेस पार्किंसन रोग से पीड़ित थे। उन्हें मंगलवार सुबह शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वेस पेस का खेलों से लंबा जुड़ाव
वेस पेस का भारतीय खेलों के साथ लंबा जुड़ाव रहा है। उनकी देखरेख में कई खिलाड़ियों को अलग-अलग खेलों में डेब्यू का मौका मिला। वेस ने भारतीय खेलों के लिए काफी कुछ किया। वह भारतीय हॉकी टीम में मिडफील्डर की पोजिशन पर खेलते थे। इसके अलावा उन्होंने फुटबॉल, क्रिकेट और रग्बी जैसे कई खेलों में भी हाथ आजमाए। वेस पेस 1996 से 2002 तक भारतीय रग्बी फुटबॉल संघ के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
बीसीसीआई के साथ भी काम कर चुके
खेल चिकित्सा के चिकित्सक के रूप में उन्होंने एशियाई क्रिकेट परिषद, भारतीय क्रिकेट बोर्ड और भारतीय डेविस कप टीम सहित कई खेल निकायों के साथ चिकित्सा सलाहकार के रूप में काम किया।
वेस के बेटे ने भी जीता ओलंपिक पदक
1972 में वेस पेस के ओलंपिक पदक जीतने के 24 साल बाद लिएंडर ने अटलांटा ओलंपिक 1996 में भारतीय टेनिस को उसका पहला और एकमात्र पदक दिलाया था। लिएंडर ने पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता था। यह 1952 के बाद भारत का ओलंपिक इंडिविजुअल स्पोर्ट्स में पहला पदक था। 1952 में केडी जाधव ने ऐसा किया था। वेस अक्सर अपने बेटे की तारीफ किया करते थे। वेस ने लिएंडर की कामयाबी को लेकर कहा था, ‘पहली बात तो लिएंडर एक ऐसे माहौल में पले बढ़े हैं, जिसने खेल संस्कृति को प्रोत्साहित किया है। साथ ही लिएंडर के पास अंतर्निहित प्रतिभा है।’
वेस लिएंडर की काफी तारीफ करते थे
वेस ने बताया था, ‘लिएंडर टेनिस कोर्ट पर काफी तेज हैं और मुझे यह भी लगता है कि वह जिद्दी भी हैं। लिएंडर हफ्ते में छह दिन, रोजाना तीन घंटे ट्रेनिंग करते थे। अगर आप चैंपियन बनना चाहते हैं तो आपको इसे जारी रखना होगा।’ वहीं, लिएंडर पेस का मानना है कि ‘कभी हार न मानने’ का रवैया उनके परिवार में है। लिएंडर ने कहा था, ‘यह सब विरासत में मिलता है।’ लिएंडर पेस, जो स्वयं एक पिता हैं, का मानना है कि उनकी बेटी अयाना में भी ये गुण हैं। लिएंडर पेस ने कहा, ‘आपको मेरी बेटी पर गौर करना चाहिए। वह मेरे पिता से बहुत मिलती-जुलती है।’
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