
इन्दौर। महू ( Mhow) के जंगलों (forests) में पिछले 4 दिनों में तेंदुए (Leopard) ने 3 मवेशियों का शिकार किया है। इनमें से एक गाय का शव तो मिल चुका है, मगर एक गाय (cows) और एक बछड़े (calf) के शव तो छोड़ो, उनके अवशेष तक नहीं मिले हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस मौसम में मवेशी या शव ढूंढना कतई खतरे से खाली नहीं है।
महू, मानपुर इलाके में बारिश के चलते जंगलों में हरियाली बहुत घनी हो चुकी है। ऐसे में आसपास के मवेशी मतलब किसानों के जानवर, घास खाने के लिए जंगलों में चले जाते हैं। अपना पेट भरने की कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकाना पड़ रही है। पिछले 4 दिनों में किसानों के 3 मवेशी तेंदुए का शिकार बन
चुके हैं।
एक गाय और बछड़े के जमीन पर घसीटे जाने के निशान मिले
तेंदुए के 3 शिकार मवेशियों में 2 गाय हैं और एक बछड़ा है। इन तीनो में से जहां एक गाय का शव मिल चुका है, मगर दूसरी गाय और बछड़े का न तो शव मिला है न ही उनके अवशेष मिले हैं, मगर जमीन पर उनके घसीटे जाने के निशान जरूर मिले हैं, जिससे साबित होता है कि तेंदुआ उन्हें घसीटकर ले गया है। इन दोनों मवेशियों के शव या अवशेष की तलाश तो जारी है, मगर जंगल में घनी हरियाली के चलते वन्यकर्मियों को बहुत सावधानी से काम करना पड़ रहा है।
पीएम रिपोर्ट के आधार पर मिलता है मुआवजा
वन्यजीवों द्वारा मारे गए मवेशियों का मुआवजा उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मिलता है। पीएम रिपोर्ट से पता चलता है कि मवेशी की उम्र कितनी थी। उनकी उम्र के हिसाब से मुआवजे की राशि तय होती है। शिकार से मृत मवेशी में यदि गाय है तो उसकी उम्र के हिसाब से 20 से 25 हजार रुपए मिलते हैं। अगर 3 साल के आसपास या इससे छोटे बछड़े हैं तो उन्हें 8 से 10 हजार या 12 हजार रुपए तक मुआवजा मिलता है।
शव नहीं मिलने पर पंचनामे की रिपोर्ट पर मुआवजा मिलता है
यदि शिकार हुए मवेशी का शव मिल जाता है तो उसकी पीएम मतलब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा तय होता है, मगर जिस मृत मवेशी का शव नहीं मिलता है तो फिर वन्यकर्मियों द्वारा शिकार मवेशियों के अवशेष ढूंढने के लिए तलाशी अभियान चलाया जाता है। यदि इसमें भी सफलता नहीं मिलती है तो फिर पगमार्क यानी पदचिन्ह और घसीटे जाने के निशान के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है, फिर किसान को इसी आधार पर मुआवजा मिलता है।
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