
श्रीनगर । उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के पीड़ितों के परिजनों को (To the Families of the Victims of Terrorist attacks in Jammu-Kashmir) नियुक्ति पत्र सौंपे (Handed over Appointment Letters) । उपराज्यपाल ने कहा कि प्रशासन आतंकी पीड़ितों के परिवारों को नौकरी, न्याय और सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “आज कश्मीर डिवीजन के आतंकी पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। इन परिवारों के लिए आज न्याय का लंबा इंतजार खत्म हो गया है। पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाकर, हमने उनकी गरिमा और सिस्टम में उनके विश्वास को बहाल किया है।” उन्होंने आगे लिखा कि लंबे समय तक सिस्टम ने इन परिवारों के दर्द और सदमे को नजरअंदाज किया। आतंकवाद के असली पीड़ितों और सच्चे शहीदों को आतंकी इकोसिस्टम के तत्वों द्वारा परेशान किया गया। आतंकी पीड़ितों के परिजनों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। कई पीढ़ियों से, सिस्टम इन पीड़ितों को उनके मामलों को वह प्राथमिकता न देकर नाकाम रहा था, जिसके वे हकदार थे। हम पीड़ितों की आवाज को मजबूत कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें उनके हक और अधिकार मिलें। हम अपराधियों को जल्द और निष्पक्ष न्याय दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आज कश्मीर डिवीजन के 39 परिवारों को नियुक्ति पत्र मिले, जबकि जम्मू में पहले ऐसे 41 परिवारों को पत्र दिए गए थे। हाल ही में नौगाम विस्फोट से प्रभावित नौ परिवारों को भी शुक्रवार शाम को नौकरी के पत्र दिए गए। उन्होंने कहा, “इस साल अब तक 200 से ज्यादा परिवार वालों को सरकारी नौकरी दी गई है। मैं कई ऐसे परिवारों से मिला हूं जिन्होंने आतंकवाद में अपने प्रियजनों को खो दिया और सालों तक चुपचाप संघर्ष करते रहे। उनमें से एक ने मुझे बताया कि उनका घर नष्ट होने के बाद उनकी मां को उन्हें पालने के लिए भीख मांगनी पड़ी। कई बच्चे बिना माता-पिता के बड़े हुए, फिर भी कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया।”
अपनी सरकार के संकल्प को दोहराते हुए सिन्हा ने कहा कि प्रशासन जम्मू और कश्मीर को आतंकवाद और उसके इकोसिस्टम से पूरी तरह आज़ाद कराने के लिए दृढ़ है। जो कोई भी किसी भी रूप में आतंकवाद का समर्थन करेगा, उसे कड़ी सजा मिलेगी। शांति की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना कि कोई भी परिवार फिर से दुख न झेले, यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
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