
डीग । गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म (Minister of State for Home Jawahar Singh Bedham) ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर (Lokmata Ahilyabai Holkar) ने अपने जीवन का हर पल (Every moment of her Life) लोकहित के लिए समर्पित किया (Dedicated for Public Welfare) ।
राजस्थान के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने कहा कि सभी लोगों को महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए दृढ़ संकल्पित रहना चाहिए। उन्होंने यह बात मेला ग्राउंड डीग के निकट स्थित आयोजन स्थल पर लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कही। बेढ़म ने इस अवसर पर देश और प्रदेश के लोगों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होलकर जी की त्रिशताब्दी जयंती केवल एक ऐतिहासिक स्मरण नहीं है, बल्कि यह भविष्य के निर्माण की भी प्रेरणा है। उन्होंने लोकमाता के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक साधारण परिवार में जन्मी अहिल्याबाई ने अपने कर्म, साहस और दूरदृष्टि से इतिहास में वह स्थान प्राप्त किया जो आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। राज्यमंत्री ने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने अपने जीवन के हर क्षण को मनसा, वाचा, कर्मणा (विचार, वचन और कर्म से) लोकहित के लिए समर्पित किया । उनका 70 वर्षीय जीवन, एक अबोध बालिका से होल्कर वंश की रानी और फिर लोकमाता बनने तक का सफर, सामाजिक न्याय, कर्तव्यनिष्ठा, सात्त्विकता और पराक्रम का एक अद्वितीय उदाहरण है।
उन्होंने अहिल्याबाई की शासन शैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें राजनीतिक दूरदृष्टि, आध्यात्मिक आस्था और जनसेवा का गहरा समर्पण था। उन्होंने युद्ध को कभी केवल राजकोष भरने का साधन नहीं माना। अंग्रेजों की कूटनीति को भांपते हुए उन्होंने भारतीय रियासतों को सतर्क रहने की सलाह दी और अखंड भारत की परिकल्पना को प्रोत्साहित किया। बेढ़म ने यह भी बताया कि अहिल्याबाई ने महिलाओं की भागीदारी को भी नई दिशा दी। उन्होंने सिद्ध किया कि बिना टकराव या कठोरता के भी समाज की सोच और व्यवस्थाएं बदली जा सकती हैं। वे धर्मपरायण होने के साथ-साथ राजनैतिक रूप से सजग और पराक्रमी भी थीं। उनका जीवन उन सभी मूल्यों का संतुलन था जिन्हें आज की पीढ़ी को समझना और आत्मसात करना आवश्यक है।
गृह राज्य मंत्री ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को सामाजिक दृष्टि से अत्यंत व्यापक व्यक्तित्व बताया। उन्होंने महेश्वरी साड़ी उद्योग की शुरुआत की, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला। देशभर में मंदिरों का जीर्णोद्धार, धर्मशालाओं का निर्माण, घाटों का विकास और पर्यावरण संरक्षण उनके सतत प्रयासों के उदाहरण हैं। स्त्री-सशक्तिकरण की दृष्टि से भी वे अग्रणी थीं। उन्होंने विधवाओं को संपत्ति का अधिकार दिलाया, दहेज प्रथा के विरुद्ध आदेश जारी किए और महिलाओं की अदालतों में सुनवाई सुनिश्चित की।
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