
महू आर्मी से शुभांकर श्रीवास। भारतीय थलसेना के एकमात्र दृष्टिबाधित सक्रिय-ड्यूटी ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल द्वारकेश ने एक सडक़ हादसे में अपनी दोनों आंखें खो दीं, मगर सटीक निशाना लगाना वे आज भी नहीं भूले। फिलहाल द्वारकेश महू सैन्य क्षेत्र के आर्मी माक्र्समैनशिप यूनिट (एएमयू) में पिछले एक साल से अभ्यास कर रहे हैं। वह आवाज के जरिए लक्ष्य का संकेत देने वाले उपकरण (ऑडियो एमिंग डिवाइस) की मदद से निशाना लगाते हैं।
द्वारकेश 2009 में कैडेट ट्रेनिंग विंग के माध्यम से भारतीय सेना में शामिल हुए और उन्होंने मिलिट्री इंटेलिजेंस कोर को चुना। 2016 में उनके सैन्य कॅरियर में एक चुनौतीपूर्ण मोड़ आया, जब एक सडक़ दुर्घटना में उनकी आंखों की रोशनी चली गई। इस जीवन परिवर्तनकारी घटना के बाद भी वे अपने सैन्य कत्र्तव्यों में सक्रिय रहे और पुणे के खडक़ी स्थित सेना के स्टेशन मुख्यालय में सेवा करते रहे। द्वारकेश ने बताया कि वे बचपन से ही सेना में भर्ती होना चाहते थे और उनका यह सपना 2009 में सच हो गया। सेना में भर्ती होने के बाद भी वे खेलों से जुड़े रहे।
इसके कुछ साल बाद एक हादसे में आंखें खोने के बाद वर्ष 2022 में उन्हें पता चला कि दृष्टिबाधित निशानेबाजों की भी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाएं होती हैं। इसके बाद द्वारकेश ने भी निशानेबाजी में कदम रख दिया। अब आगामी अक्टूबर-नवंबर माह में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में होने वाले पैराशूटिंग वल्र्ड कप के दृष्टिबाधित खिलाडिय़ों के वर्ग में वे स्वर्ण पदक जीतने की तैयारी कर रहे हैं।
राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप में भी जीता रजत पदक
पैरास्पोट्र्स में ले. कर्नल द्वारकेश ने वर्ष 2021 में प्रवेश लिया, तब उन्होंने महाराष्ट्र के पुणे में बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप एंड सेंटर में नवस्थापित पैरालंपिक नोड में प्रशिक्षण शुरू किया। प्रारंभ में उनका ध्यान तैराकी पर केंद्रित था, मगर 2023 में वे निशानेबाजी में शामिल हुए। तब उन्होंने दृष्टिबाधित एथलीटों के लिए डिजाइन किए गए इन्फ्रारेड सेंसर आधारित उपकरणों का उपयोग करके निशानेबाजी में राष्ट्रीय पदक जीता। द्वारकेश ने भारतीय पैरालंपिक समिति द्वारा मध्यप्रदेश के ग्वालियर में आयोजित 23वीं राष्ट्रीय पैरातैराकी चैंपियनशिप में भाग लेकर 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में 51 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण पदक और 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में 1 मिनट 50 सेकंड का समय लेकर रजत पदक जीता।
चैट जीपीटी का भी करते हैं उपयोग
दुनियाभर में निशानेबाजी की हलचल और दांव-पेंच समझने के लिए द्वारकेश चैट जीपीटी का भी उपयोग करते हैं। द्वारकेश ने बताया कि इंटरनेट क्रांति के इस दौर में उन्हें कई चीजों के लिए लोगों पर निर्भर नहीं होना पड़ता है। वे इंटरनेट के माध्यम से कई कार्य स्वयं समझकर आसानी से ही कर लेते हैं, जिनमें निशानेबाजी के दांव-पेंच समझने में गूगल, यू-ट्यूब, चैट जीपीटी की मदद लेना आम बात है।
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