
इंदौर। मुख्यमंत्री मोहन यादव के स्वदेशी अभियान को इंदौर कलेक्टर ने नए पंख दिए हैं। अपनी पहल पर नई सोच से नई दिशा देते हुए कलेक्टर ने विशेष नवाचार की पहल की है। अब दीपावली पर इंदौर के घर-घर में देसी गाय के पवित्र गोबर से बने दीये जल सकेंगे। इसके लिए नगर निगम की हातोद क्षेत्र स्थित गोशाला में दो मशीनें स्थापित की गई हैं, जहां तेजी से दीये बनाए जा रहे हैं। अगले 2 दिनों में हाइड्रोलिक मशीनें लगाई जाएंगी, ताकि लाखों की संख्या में दीये समय पर तैयार हो सकें।
स्वदेशी बनाएंगे-स्वदेशी अपनाएंगे के मुख्यमंत्री विशेष निर्देश पर मनाए जा रहे सेवा पखवाड़े के अंतर्गत कलेक्टर ने अभिनव पहल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुसार स्वदेशी अभियान को इंदौर नए आयाम पर ले जा रहा है। गोबर से बने दीये आकर्षक पैकिंग में घर-घर पहुंचेंगे। स्वदेशी को अपनाने के लिए घर-घर पर्यावरणप्रेमी अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान से न केवल आम जनता को स्वदेशी अपनाने की सीख दी जाएगी, बल्कि ऐसे कई परिवार जो बेरोजगार हैं, उन्हें रोजगार भी मुहैया कराया जाएगा। कलेक्टर शिवम वर्मा ने बताया कि जिला स्तरीय अधिकारियों को इस कार्य से जोड़ा गया है। पशुपालन विभाग, नगर निगम और जिला आपूर्ति नियंत्रक को प्रतिदिन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश देने के साथ वे स्वयं इस अभियान की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। 1 दिन में लगभग 10 हजार दीये बनाए जा सकेंगे और इन दीयों की पैकिंग कर बाजार में भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
कलेक्टर की इंदौरियों से अपील
उक्त अभियान में दीयों को आकर्षक बनाने के लिए विशेष आकार के सांचे तैयार कराए गए हैं। विशेष सांचों से विविध आकार-प्रकार के गोबर के दीये तैयार किए जा रहे हैं। कलेक्टर शिवम वर्मा ने नागरिकों से अपील की है कि धनतेरस से लेकर दीपावली तक तथा इसके पश्चात आने वाले अन्य त्योहारों के दौरान भी पवित्र गोबर के दीये घर-घर में जलाएं। इससे न केवल स्वदेशी अभियान को बल मिलेगा, बल्कि गायों के संरक्षण, गोशालाओं की आत्मनिर्भरता और सनातन परंपराओं के संरक्षण में भी आमजन की भागीदारी सुनिश्चित होगी।
हवन के कंडे, धूप और वर्मी कंपोस्ट भी
गोशाला के स्वामी अच्युतानंद महाराज ने इस कार्य में विशेष रुचि लेते हुए स्वयं की उपस्थिति में दीये बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ कराई। स्वामीजी ने इस नवाचार की सराहना की और कहा कि इससे स्वदेशी उत्पादों को नई दिशा मिलेगी। दीयों के बाद छोटे-छोटे हवन के कंडे, धूप, वर्मी कंपोस्ट, काड़ी आदि प्राकृतिक चीजों पर विशेष जोर दिया जाएगा। इस गोशाला में 12 महीने ऐसी वस्तुएं जो प्रतिदिन उपयोग होती हैं, वह प्राकृतिक रूप से निर्मित होंगी।
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