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प्रदूषित राज्यों में मध्य प्रदेश चौथे नंबर पर

November 08, 2022

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में सामने आए तथ्य
  • ग्वालियर की हवा सबसे प्रदूषित, भोपाल का वातावरण भी सेहतमंद नहीं

भोपाल। दिवाली के बाद जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा सोमवार शाम चार बजे जारी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषित राज्यों में मध्य प्रदेश चौथे नंबर पर है। ग्वालियर की हवा सोमवार को प्रदेश में सबसे प्रदूषित रही। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 329 तक पहुंच गया। राजधानी भोपाल का वातावरण भी सेहतमंद नहीं रहा, क्योंकि वायु प्रदूषण की स्थिति बताने वाला सूचकांक यहां भी 299 दर्ज किया है। आदर्श स्थिति में यह सूचकांक 50 होना चाहिए।
हालांकि प्रदेश के बाकी जिलों की आबोहवा ठीक रही। वहीं वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली, हरियाणा व उत्तरप्रदेश के बाद मध्यप्रदेश चौथे नंबर पर है। यहां निचले वातावरण में धूल, धुएं और हानिकारक गैसों के कणों का स्तर बढ़ रहा है, जिसकी वजह ठंड व नमी है। यह खतरा आगे और बढ़ेगा।



प्रदूषित हवा की वजह से बीमार, बुजुर्ग, बच्चों की सेहत पर विपरीत असर पड़ता है। सीपीसीबी द्वारा जारी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के शादीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 403 पहुंचा था, जो कि सभी राज्यों में सर्वाधिक था। वहीं उत्तरप्रदेश के नोएडा के सेक्टर- 62 में सूचकांक 358 और हरियाणा के फरीदाबाद में 348 तक पहुंच गया था। बाकी के राज्यों में यह 100 से 250 के बीच रहा है। यह सूचकांक जब 50 तक या उससे नीचे हो तभी हवा की स्थिति को आदर्श माना जाता है। जब वायु प्रदूषण बढऩे लगता है तो इसमें भी बढ़ोतरी होती है।

ठंड में इसलिए बढ़ता है वायु प्रदूषण
पीसीबी मप्र से सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक पीआर देव का कहना है कि वातावरण में धूल, धुएं व हानिकारक गैसों के कणों की मौजूदगी हमेशा रहती है। ठंड के दिनों में ये कण नमी पाकर भारी हो जाते हैं और सतह से अधिक ऊंचाई तक नहीं फैल पाते। निचले स्तर पर ही रहते हैं और प्रदूषण का कारण बनते हैं। यही कण गर्मी के दिनों में शुष्क हो जाते हैं और अधिक ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं।
जिसकी वजह से प्रदूषण का स्तर कम होता है। वहीं वर्षा के दिनों में यही कण जमीन से ऊपर नहीं उठ पाते इसलिए हवा सर्वाधिक साफ होती है। बढ़ते प्रदूषण के लिए सड़कों का बार-बार खराब होना, केबल बिछाने, पाइप लाइन डालने व अन्य कामों के लिए बार-बार सड़कों की खोदाई करना, पुराने वाहनों का सड़कों पर दौडऩा, छोटे कारखानों का शहर के अंदर संचालित होना आदि वजह है।

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