
रीवा: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा (Reva) जिले में सामने आए राजनिवास गैंगरेप मामले में न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए दोषियों को सख्त सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश पद्मा जाटव की अदालत ने मुख्य आरोपी महंत सीताराम दास उर्फ समर्थ त्रिपाठी समेत पांच आरोपियों को इस मामले में दोषी माना और अंतिम सांस तक के लिए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस मामले में सबूतों की कमी के चलते चार आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया.
यह गंभीर घटना 28 मार्च 2022 की है. उस दिन रीवा के सर्किट हाउस के कमरा नंबर चार में एक नाबालिग किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. जांच में सामने आया कि आरोपी महंत सीताराम दास रीवा में भागवत कथा के आयोजन के लिए आया हुआ था. उसने पीड़िता को किसी काम का बहाना बनाकर सर्किट हाउस बुलाया. वहां उसे जबरन शराब पिलाई गई और इसके बाद महंत सीताराम व उसके साथियों ने मिलकर वारदात को अंजाम दिया.
पीड़िता ने अद्भुत साहस दिखाते हुए अपनी जान बचाने के लिए चलती कार से छलांग लगा दी और किसी तरह वहां से भागने में सफल रही. इसके बाद उसने पुलिस थाने पहुंचकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. शिकायत दर्ज होते ही पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू की जिससे पूरे जिले में सनसनी फैल गई. इस मामले में कुल नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था. अदालत ने महंत सीताराम दास के अलावा विनोद पांडे, धीरेंद्र मिश्रा, अंशुल मिश्रा और मोनू प्यासी को दोषी ठहराया. वहीं संजय त्रिपाठी, रवि शंकर शुक्ला, जानवी दुबे और तौसीद अंसारी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया.
पुलिस ने जांच के दौरान कई अहम तकनीकी सबूत इकट्ठा किए. डीएनए रिपोर्ट, सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड को अदालत में पेश किया गया. अभियोजन पक्ष की ओर से 22 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए और करीब 140 दस्तावेज सबूत के तौर पर प्रस्तुत किए गए. अदालत ने इन सभी प्रमाणों का गहराई से अध्ययन करने के बाद यह निर्णय सुनाया. सरकारी परिसर में इस तरह की जघन्य घटना और उसमें एक कथित धर्मगुरु की भूमिका ने समाज को झकझोर कर रख दिया था. अदालत का यह फैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने की दिशा में बड़ा कदम है बल्कि ऐसे अपराध करने वालों के लिए एक कड़ा संदेश भी माना जा रहा है.
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