
भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के एक फैसले ने सबको हैरान कर दिया, जब एक टाइपिंग की छोटी सी चूक (Minor typing mistake) ने जमानत के खेल को ही पलट दिया। दरअसल, कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए दस्तावेज में एक हत्या के आरोपी, जिसकी जमानत खारिज हुई थी, और दूसरे, जिसकी जमानत मंजूर हुई थी, के नाम आपस में बदल गए। इस गलती ने कोर्टरूम में हलचल मचा दी और मामला तब और रोचक हो गया, जब पता चला कि जमानत के लिए अर्जी देने वाले कोई और नहीं, बल्कि एक बाप-बेटे की जोड़ी थी।
पिता और पुत्र की कहानी
यह अनोखा मामला विदिशा के ट्योंदा का है, जहां पिछले साल 5 जुलाई को दुकानदार प्रकाश पाल की लिंचिंग के शक में हलके और उनके बेटे अशोक को गिरफ्तार किया गया था। हलके को 8 जुलाई और अशोक को 10 जुलाई को हिरासत में लिया गया। कोर्ट के फैसले में हलके को जमानत मिलने की बात लिखी गई, जबकि अशोक को जेल में ही रहना था। लेकिन टाइपिंग की गलती ने इस फैसले को उलट-पुलट कर दिया।
जमानत पर हुआ बवाल
हलके के वकील अमीन खान ने गलत जानकारी के आधार पर जमानत बांड दाखिल कर दिया। जेल प्रशासन को भी हलके को रिहा करने का आदेश मिल गया। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर नहीं टिकी। कोर्ट के कर्मचारियों ने जल्द ही इस भूल को पकड़ लिया और हलके के वकील को सूचित किया कि दस्तावेज में गड़बड़ हो गई थी।
नया आदेश जारी
8 अगस्त की शाम करीब 6:30 बजे, ग्वालियर बेंच के जस्टिस राजेश कुमार गुप्ता ने गलत छपे आदेश को वापस लिया। सोमवार को दोबारा सुनवाई के दौरान जज ने साफ किया कि यह सब एक टाइपिंग त्रुटि की वजह से हुआ। इसके बाद एक ताजा और अंतिम आदेश जारी किया गया, जिसमें सही जानकारी के साथ हलके और अशोक की जमानत की स्थिति स्पष्ट की गई।
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