
इंदौर: अमेरिका (America) द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ (US Tariff) का असर मध्य प्रदेश की इंडस्ट्री (Industries of Madhya Pradesh) पर भी देखने को मिल रहा है. हालांकि, इसका असर अब बहुत कम देखने को मिलेगा. क्योंकि, उद्दोगपतियों ने इसके लिए नए रास्ते निकाल लिए हैं. इंदौर और पीथमपुर (Indore and Pithampur) के उद्योग जगत ने अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, खाड़ी और आसियान जैसे नए बाजारों की तलाश शुरू कर दी है.
पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष डॉ. गौतम कोठारी के मुताबिक, यह विवाद रूस से तेल खरीदने की वजह से शुरू हुआ. भारत अपनी नीति पर कायम है. उन्होंने सुझाव दिया कि रूस से तेल खरीद से होने वाली बचत का 10 प्रतिशत हिस्सा यदि उद्योगपतियों को सब्सिडी के रूप में दिया जाए, तो वे अन्य देशों को प्रतिस्पर्धी दरों पर निर्यात कर सकेंगे. यह पहल निर्यात तो बढ़ाएगी ही, साथ में उद्योगपतियों को आत्मनिर्भर भी बनाएगी.
एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष योगेश मेहता ने बताया कि कुछ प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनियों ने अमेरिका में अपने ब्रांच पहले ही स्थापित कर लिए हैं, जिससे उन्हें तत्काल कोई खास नुकसान नहीं होगा. अन्य देशों पर टैरिफ लगने से भारतीय उद्योगों के लिए निर्यात बढ़ाने का यह एक सुनहरा मौका है.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के निर्यात में लगातार बढ़ोत्तरी जारी है. इसके कारण राज्य की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य का कुल निर्यात 6 प्रतिशत बढ़कर 66,218 करोड़ रुपए हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक है. इसमें सबसे अधिक योगदान फार्मास्यूटिकल, इंजीनियरिंग गुड्स और सोया आधारित उत्पादों का रहा है. मध्य प्रदेश राष्ट्रीय रैंकिंग में 15वें से 11वें स्थान पर आ गया है.
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी टैरिफ के चलते चिंताएं बढ़ गई हैं. मध्य प्रदेश के के प्रमुख निर्यात गंतव्य अमेरिका, बांग्लादेश, फ्रांस, यूएई और नीदरलैंड रहे हैं. इस बीच एमपी के उद्दोगपितों ने नए विकल्प की तलाश शुरू कर दी है. अगर बात करें निर्यात के आकड़ों की तो प्रदेश का निर्यात लगातार बढ़ रहा है. 2019-20 में जहां यह 37,692 करोड़ रुपए था, वहीं 2024-25 में यह लगभग दोगुना होकर 66,218 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है.
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