
नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने 76वें गणतंत्र दिवस (76th republic day) की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित कर रही हैं. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा है कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा. आज के दिन हम सबसे पहले उन सूर वीरों को याद करते हैं जिन्होंने देश को आजाद करने में बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी. इस साल हम भगवान बिरसा मुंडा की 150 जयंती मना रहे हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है. उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था. सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं.
मुर्मू ने कहा कि देश ने विश्व व्यवस्था में उचित स्थान पाया है. बाबा साहब ने देश को मजबूत संविधान दिया. न्याय हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है. हमारे देश का ये सौभाग्य था कि यहां महात्मा गांधी हुए. संविधान सभा में सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था. नैतिकता हमारे जीवन का प्रमुख तत्व है.
राष्ट्रपति ने संबोधन में आगे कहा कि देश में विकास की ये रफ्तार आगे भी बनी रहेगी. भारत का आर्थिक विकास तेजी से हुआ है. महिलाएं और बच्चे विकास के केंद्र में हैं. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का कद भी बढ़ा है. देश में ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के लोगों के समग्र विकास के प्रयास किए जा रहे हैं. सड़क, बंदरगाह का तेजी से विकास हो रहा है.
राष्ट्रपति के संबोधन की अहम बातें-
हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है. इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है. हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं.
एक राष्ट्र एक चुनाव योजना शासन में स्थिरता को बढ़ावा दे सकती है, नीतिगत पंगुता को रोक सकती है. हम औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने के लिए हाल में ठोस प्रयास देख रहे हैं. साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधार आने वाले वर्षों में इस प्रवृत्ति को बनाए रखेंगे. शिक्षा की गुणवत्ता, भौतिक अवसंरचना और डिजिटल समावेशन के मामले में पिछले दशक में शिक्षा में काफी बदलाव आया है.
प्रयागराज महाकुंभ हमारी विरासत का परिचय, बोलीं राष्ट्रपति
उन्होंने कहा कि बिजली के क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग हो रहा है. उन्होंने कहा कि डीबीटी के जरिए लोगों को बहुत लाभ मिला है. इससे सिस्टम में पारदर्शिता भी बढ़ी है. देश में शास्त्रीय भाषाओं में शोध कार्य को बढ़ावा दिया गया. प्रयागराज महाकुंभ हमारी विरासत का परिचय है. देश में डिजिटल शिक्षा के भी प्रयास किए जा रहे हैं. शिक्षा के जरिए ही युवाओं की प्रतिभा निखरती है. विद्यार्थियों के प्रदर्शन में काफी सुधार देखने को मिला है. सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है.
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