
नागपुर। महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति (Politics) में गर्माहट आम बात है। खासकर तब जब राज्य (State) में किसी भी प्रकार का चुनाव (Election) या फिर को राजनीतिक (Political) कार्यक्रम हो। तब यही सियासी गर्माहट अपने वास्तविक तपिश को छोड़कर सातवें आसमान पर पहुंच जाती है। इसी क्रम में एक बार फिर बयानबाजी तब तेज हो गई जब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) रविवार को नागपुर में आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार के स्मारक नहीं पहुंचे। इस बात को आधार पर बनाकर चर्चा इस बात की भी तेज हो गई कि क्या हेडगेवार को लेकर महायुति गठबंधन के दलों में रार चल रहा है?
हालांकि राजनीतिक गलियारों में बढ़ती चर्चा को देखते हुए एनसीपी ने अजित पवार के नागपुर नहीं जाने के पीछे का कारण साफ किया। पार्टी ने बयान जारी अपना रुख साफ करते हुए कहा कि वह महायुति गठबंधन में राज्य के विकास के लिए शामिल हुई है, न कि किसी विचारधारा को अपनाने के लिए।
मामले में एनसीपी के प्रवक्ता आनंद परांजपे ने कहा कि पार्टी की विचारधारा सामाजिक सुधारकों शाहू महाराज, ज्योतिबा फुले और डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रगतिशील विचारों पर आधारित है। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली बार नहीं है जब अजित पवार हेडगेवार स्मारक नहीं गए हैं।
बता दें कि रविवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भाजपा व शिवसेना के कई विधायक आरएसएस के स्मृति मंदिर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। हालांकि दूसरी ओर अजित पवार और एनसीपी के अन्य नेता इस कार्यक्रम से दूर रहे।
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