
नई दिल्ली । दो साल पहले पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों में घिरीं तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) की सांसद महुआ मोइत्रा(MP Mahua Moitra) ने अब दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया(knocked on the door) है। उन्होंने इस मामले में लोकपाल के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें सीबीआई को उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर करने की अनुमति दी गई थी। TMC सांसद की याचिका पर मंगलवार को जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ सुनवाई करेगी।
12 नवंबर को लोकपाल की पूर्ण पीठ ने लोकपाल अधिनियम की धारा 20(7)(ए) सहपठित धारा 23(1) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सीबीआई को चार सप्ताह के भीतर महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने की अनुमति दी थी और कहा था कि चार्जशीट के एक कॉपी उसके सामने भी पेश की जाए।
मामला दो साल पुराना है
यह मामला दो साल पुराना है और भारतीय जनता पार्टी सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों से उपजा है। दुबे ने आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने अडानी समूह और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए संसद में सवाल पूछने के बदले दुबई स्थित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकद और आलीशान उपहार लिए थे। लोकपाल ने इस मामले में सीबीआई को धारा 20(3)(ए) के तहत “सभी पहलुओं” की जाँच करने और 6 महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
याचिका में मोइत्रा के क्या तर्क?
बार एंड बेंच के मुताबिक, अपनी याचिका में मोइत्रा ने तर्क दिया है कि लोकपाल का आदेश लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के खिलाफ है और वह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है क्योंकि यह उनके विस्तृत लिखित और मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार किए बिना पारित किया गया है।
अधिवक्ता समुद्र सारंगी के माध्यम से दायर की याचिका
उन्होंने तर्क दिया, “यदि आरोपित स्वीकृति आदेश के प्रभाव और संचालन पर तत्काल रोक नहीं लगाई जाती है, तो सीबीआई आरोपपत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी, जिससे याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति होगी। इससे वर्तमान रिट याचिका काफी हद तक निष्फल हो जाएगी। इसलिए, वर्तमान मामले में माननीय न्यायालय के तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है।” मोइत्रा ने अधिवक्ता समुद्र सारंगी के माध्यम से यह याचिका दायर की है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved