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आयुर्वेदिक दवा दुकानों पर बड़ी कार्रवाई, सात दवाइयां अमानक पाई गईं

November 25, 2025

  • जहरीले कफ सिरप से 22 बच्चों की मौत के बाद प्रशासन हुआ सतर्क
  • गिलोय सत्व, कामदुधा, प्रवाल पिष्टी और कफ-कुठार रस जैसी आयुर्वेदिक दवाइयों की बिक्री प्रतिबंधित

इंदौर। आयुर्वेदिक दुकानों से बिना किसी सलाह के खुद का इलाज करना भारी पड़ सकता है। आयुर्वेदिक दवाइयां भी नकली पाई जा रही हैं। विभाग की जांच में सात आयुर्वेदिक दवाइयों पर कार्रवाई की गई है। इनकी बिक्री पर जहां प्रतिबंध लगाया गया है, वहीं पुराने स्टॉक को हटाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इंदौर जिले में भी अमानक और खतरनाक आयुर्वेदिक दवाइयों के क्रय-विक्रय पर जिला प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है।

बड़ी-बड़ी कंपनियां उच्च लेवल की दवाइयां बना रही हैं, लेकिन उनके बनाए गए कई बैच में ही गड़बडिय़ां देखी जा रही हैं। अचानक की गई जांच में कफ कुठार रस (डाबर इंडिया), लक्ष्मी विलास रस नारदीय (डाबर इंडिया), प्रवाल पिष्टी (श्री धन्वंतरि हर्बल्ला), मुक्ता शुक्ति (श्री धन्वंतरि हर्बल्ला), गिलोय सत्व (शर्मायु जेन्युइन आयुर्वेद, दतिया) और कामदुधा रस (शर्मायु जेन्युइन आयुर्वेद) के कई बैच की दवाइयां घातक पाई गई हैं। संचालनालय आयुष भोपाल ने सभी प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री, उपयोग और वितरण पर रोक लगा दी है। जिला आयुष अधिकारी डॉ. हंसा बारिया ने बताया कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 एवं नियम 1945 की धारा 33 ईई के तहत जांच की गई, जिसके अनुसार इन दवाओं को अमानक और स्वास्थ्य के लिए घातक पाया गया है।


स्टॉक हटाने के निर्देश
जांच रिपोर्ट में जिन दवाइयों को अमानक पाया गया, उनमें प्रमुख रूप से सात बैच घातक पाया गया है। इन सभी की बैच संख्या भी प्रशासन ने जारी की है। जिला आयुष अधिकारी डॉ. हंसा बारिया ने बताया कि प्रतिबंधित दवाइयों में कफ कुठार रस, डाबर इंडिया लि. साहिबाबाद उप्र, गिलोय सत्व शर्मायु जेन्युइन आयुर्वेद श्री शर्मा आयुर्वेद मंदिर दतिया मप्र सहित प्रवाल पिष्टी और कफ कुठार रस शामिल हैं। जिला आयुष विभाग ने इंदौर जिले के सभी मेडिकल स्टोर संचालकों को तुरंत स्टॉक हटाने और कंपनियों को वापस भेजने के निर्देश जारी किए हैं। चेतावनी दी गई है कि यदि प्रतिबंधित दवाइयां जनसामान्य के बीच उपयोग में पाई जाती हैं या इनके कारण किसी प्रकार की जनहानि होती है तो पूरी जिम्मेदारी विक्रेता की होगी और उसके खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।

शिकायत करने की अपील
ज्ञात हो कि छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से 22 बच्चों की मौत हो गई थी। बिछुआ क्षेत्र में मात्र 5 माह की बच्ची की जान भी नकली सिरप ने ले ली थी। इस हादसे के बाद जिला प्रशासन हाईअलर्ट पर आ गया और एलोपैथिक व आयुर्वेदिक दोनों तरह की दवाइयों की जांच कराई गई। जांच में कुल सात आयुर्वेदिक दवाइयां पूरी तरह अमानक और जोखिमपूर्ण मिलीं। विशेषज्ञों ने आम जनता को चेतावनी दी है कि गिलोय सत्व, कामदुधा, पिष्टी और कफ-कुठार रस जैसी आयुर्वेदिक दवाइयां बिना डॉक्टर की सलाह के अत्यंत खतरनाक हैं। हालिया जांचों में खुलासा हुआ है कि मिलावट, गलत अनुपात या जहरीले तत्वों के कारण आयुर्वेदिक दवाइयां भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती हैं। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि किसी भी स्तर पर अमानक दवाइयों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता से अपील की गई है कि उपरोक्त किसी भी दवा का तुरंत उपयोग बंद करें और मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध ऐसी संदिग्ध दवाइयों की शिकायत तुरंत जिला आयुष विभाग या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर दर्ज कराएं।

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