विदिशा। धर्माधिकारी गिरधर गोविन्द प्रसाद शास्त्री ने बताया कि रात्रि में सूर्य की संक्रांति (Makar Sankranti) होने पर धर्मशास्त्रानुसार अस्य पुण्य पर्व काला: परा दिवसे सूर्योदया अर्थात 15 जनवरी शनिवार को सूर्योदय से मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पुण्य पर्व काल स्नान, दान, भजन, पूजन मोदक का भोग, भगवान श्री सूर्य नारायण देव को तांबे के कलश में जल में लाल चंदन, रोली, लाल पुष्प, सफेद तिलि गुड़, मिश्री मिलाकर अघ्र्य प्रदान किया जाता है। भगवान गणेश जी को लड्डुओं का भोग लगाकर प्रसाद वितरण एवं मकर संक्रांति पर गरीबों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय के हिंदू विश्व विद्यालय वाराणसी काशी के विश्व पंचांग, काशी के प्रकाण्ड विद्वान पंडित गणेश आपा के पंचांग, उज्जैन के पं. आनन्द शंकर व्यास के नारायण विजय पंचांग, उज्जैन के विक्रमादित्य पंचांग, जबलपुर के लोक विजय पंचांग एवं जबलपुर के भुवन विजय पंचांग आदि के धर्मशास्त्र निर्णय तथा मध्यप्रदेश प्रांतीय पण्डित सभा के विद्वानों के ज्योतिष गणना के अनुसार मकर संक्रांति पुण्य पर्व काल आज 15 जनवरी शनिवार को दोपहर 12 बजकर 30 मिनिट तक रहेगा। मकर संक्रांति से विवाह आदि मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है। मकर संक्रांति से देवताओं का दिन प्रारंभ होता है। ऋतु परिवर्तन एवं वसंत ऋतु के आगमन की पूर्व सूचना के साथ मकर संक्रांति से सूर्य के तेज में वृद्धि होती है।
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